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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Oct 9th, 07:49 by lovelesh shrivatri


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एक दिन शिष्‍य ने गुरू से पूछा, गुरूदेव, मुझे बताइए कि मैं जीवन में सफलता कैसे प्राप्‍त कर सकता हूं? गुरू ने मुस्‍कुराते हुए कहा, बेटा, पहले तुम मुझे बताओं कि तुम्‍कारे लिए सफलता का क्‍या अर्थ है? शिष्‍य ने उत्‍साह से उत्तर दिया, गुरूदेव मेरे लिए सफलता का अर्थ है- धन, प्रसिद्धि और सम्‍मान। गुरू ने शांति से कहा, अच्‍छा तो तुम यह मानते हो कि इन चीजों से तुम्‍हें संतोष मिलेगा। शिष्‍य ने हां में सिर हिला दिया। गुरू ने कहा, तुम जाओं और गांव के सबसे अमीर व्‍यक्ति से मिलो। उनसे पूछो कि क्‍या वे संतुष्‍ट है। शिष्‍य चला और घंटों बाद लौैटा। उसने बताया, गरूदेव, वे कहते हैं कि वे संतुष्‍ट नहीं है। वे और अधिक धन चाहते है। गुरू ने फिर कहा, अब जाओं और गांव के सबसे प्रसिद्ध व्‍यक्ति से मिलो। शिष्‍य फिर गया और लौटकर आया, गुरूदेव वे भी संतुष्‍ट नहीं है। वे और अधिक प्रसिद्धि चाहते है। गुरू ने अंतिम बार कहा, अब जाओ और गांव के सबसे सम्‍म‍ानित व्‍यक्ति से मिलो। शिष्‍य गया और लौटकर आया, गुरूदेव वे भी संतुष्‍ट नहीं है। वे और सम्‍मान चाहते है। गुरू ने कहा, बेटा अब तुम समझ गए होगे कि असली सफलता क्‍या है। सफलता बहारी चीजों में नहीं बल्कि आंतरिक संतोष में है। जब तुम अपने वर्तमान में संतुष्‍ट रहना सीख जाओगे, तभी तुम वास्‍तव में सफल होंगे।  

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