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AD GROUP OF INSTITUTE JILA PANCHAYAT KE SAMNE WALI GALI JIWAJI GANJ MORENA MOB- 7987156609,8871648109 हमारे यहां कोर्ट स्टेनोग्राफर, कोर्ट क्लर्क, डीसीए, सीपीसीटी की तैयारी कराई जाती है। स्टेनोग्राफर बनने के लिए आज ही संपर्क करें।
created Oct 5th, 03:00 by AD GROUP OF INSTITUTE Morena Madhya Pradesh
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ऐसी कार्यवाही में सब साक्ष्य, ऐसे व्यक्ति की उपस्थिति में, जिसके विरुद्ध भरण-पोषण के लिए संदाय का आदेश देने की प्रस्थापना है, अथवा जब उसकी वैयक्तिक हाजिरी से अभिमुक्ति दे दी गई है तब उसके प्लीडर की उपस्थिति में लिया जाएगाा और उस रीति से अभिलिखित किया जाएगाा जो समन-मामलों के लिए विहित है।
परन्तु यदि मजिस्ट्रेट का समाधान हो जाए कि ऐसा व्यक्ति जिसके विरुद्ध भरण-पोषण के लिए संदाय का आदेश देने की प्रस्थापना है, तामील से जानबूझकर मजिस्ट्रेट मामले को एकपक्षीय रूप में सुनने और अवधारण करने के लिए अग्रसर हो सकता है और ऐसे दिया गया कोई आदेश उसकी तारीख से तीन मास के अन्दर किए गए आवेदन पर दर्शित अच्छे कारण से ऐसे निबन्धनों के अधीन जिनके अन्तर्गत विनरोधी पक्षकार को खर्चे के संदाय के बारे में ऐसे निबंधन भी हैं जो मजिस्ट्रेट न्यायोचित और उचित समझे, अपास्त किया जा सकता है।
धारा 125 के अधीन आवेदनोंं पर कार्यवाही करने में न्यायालय को शक्ति होगी कि वह खर्चों के बारे में ऐसा आदेश दे जो न्यायसंगत है। पत्नी द्वारा दाखिल की गई परिवाद का संज्ञाानकरने के लिए सक्षम न्यायालय वह न्यायालय होता है जिस न्यायालय की अधिकारिता में (1) पति है, अथवा (2) जहॉं पति निवास करता है, अथवा (3) जहॉं पत्नी निवास करती है, अथवा (4) अन्तिम बार जहॉं उन्होंने (पति-पत्नी) एक साथ निवास किया अथवा जहॉं पति ने अन्तिम बार अधर्मज सन्तान की मॉं के साथ निवास किया। जहॉं पिता आंध्र प्रदेश के किसी स्थान का रहने वाला था और अन्तिम बार वह उस स्थान पर अपने पुत्र के साथ रहा था किन्तु अपनी नौकरी के समय से पुत्र बम्बई में रह रहा था, यह अभिनिर्धारित हुआ कि पिता भरण-पोषण के लिए याचिका उस स्थान पर नहीं दायर कर सकता था जहॉं वह रहता है वरन कार्यवाही बम्बई में आरंभ की जानी थी जहॉं उसका पुत्र रहता थाा।माता-पिता को उसी आधार पर नहीं रखा जा सकता जिस आधार पर धारा 126 दं. प्र. सं. के प्रयोजन के लिए पत्नी एवं बच्चों को रखा जाता है। 'निवास' से ऐसा स्थान अभिप्रेत है जहॉं पति ने स्वेच्छा से कुछ समय के लिए इस आशय से निवास किया हो जैसे वह उसका घर हो। यह प्रत्येक मामले में तथ्य का प्रश्न होता है कि किसी विशिष्ट स्थान पर जहॉं पति पाया जाता है, इस धारा के अर्थ में उसका निवास है अथवा नहीं। एक कसौटी यह देखना है कि क्या उसका कोई स्थायी निवास है जहॉं वह वापस जाना चाहता है या मामूूली तौर उसका वापस जाना प्रत्याशित है।
जूनियर जूडिशियल अस्टेंट म. प्र. उच्च न्यायालय की तैयारी करने के लिए आज ही संपर्क करें। जिला पंचायत के सामने वाली गली कृष्णा साईकिल वाले के बगल से ए.डी. ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यू्ट मुरैना मोबा. 8871648109, 7987156609 ।
परन्तु यदि मजिस्ट्रेट का समाधान हो जाए कि ऐसा व्यक्ति जिसके विरुद्ध भरण-पोषण के लिए संदाय का आदेश देने की प्रस्थापना है, तामील से जानबूझकर मजिस्ट्रेट मामले को एकपक्षीय रूप में सुनने और अवधारण करने के लिए अग्रसर हो सकता है और ऐसे दिया गया कोई आदेश उसकी तारीख से तीन मास के अन्दर किए गए आवेदन पर दर्शित अच्छे कारण से ऐसे निबन्धनों के अधीन जिनके अन्तर्गत विनरोधी पक्षकार को खर्चे के संदाय के बारे में ऐसे निबंधन भी हैं जो मजिस्ट्रेट न्यायोचित और उचित समझे, अपास्त किया जा सकता है।
धारा 125 के अधीन आवेदनोंं पर कार्यवाही करने में न्यायालय को शक्ति होगी कि वह खर्चों के बारे में ऐसा आदेश दे जो न्यायसंगत है। पत्नी द्वारा दाखिल की गई परिवाद का संज्ञाानकरने के लिए सक्षम न्यायालय वह न्यायालय होता है जिस न्यायालय की अधिकारिता में (1) पति है, अथवा (2) जहॉं पति निवास करता है, अथवा (3) जहॉं पत्नी निवास करती है, अथवा (4) अन्तिम बार जहॉं उन्होंने (पति-पत्नी) एक साथ निवास किया अथवा जहॉं पति ने अन्तिम बार अधर्मज सन्तान की मॉं के साथ निवास किया। जहॉं पिता आंध्र प्रदेश के किसी स्थान का रहने वाला था और अन्तिम बार वह उस स्थान पर अपने पुत्र के साथ रहा था किन्तु अपनी नौकरी के समय से पुत्र बम्बई में रह रहा था, यह अभिनिर्धारित हुआ कि पिता भरण-पोषण के लिए याचिका उस स्थान पर नहीं दायर कर सकता था जहॉं वह रहता है वरन कार्यवाही बम्बई में आरंभ की जानी थी जहॉं उसका पुत्र रहता थाा।माता-पिता को उसी आधार पर नहीं रखा जा सकता जिस आधार पर धारा 126 दं. प्र. सं. के प्रयोजन के लिए पत्नी एवं बच्चों को रखा जाता है। 'निवास' से ऐसा स्थान अभिप्रेत है जहॉं पति ने स्वेच्छा से कुछ समय के लिए इस आशय से निवास किया हो जैसे वह उसका घर हो। यह प्रत्येक मामले में तथ्य का प्रश्न होता है कि किसी विशिष्ट स्थान पर जहॉं पति पाया जाता है, इस धारा के अर्थ में उसका निवास है अथवा नहीं। एक कसौटी यह देखना है कि क्या उसका कोई स्थायी निवास है जहॉं वह वापस जाना चाहता है या मामूूली तौर उसका वापस जाना प्रत्याशित है।
जूनियर जूडिशियल अस्टेंट म. प्र. उच्च न्यायालय की तैयारी करने के लिए आज ही संपर्क करें। जिला पंचायत के सामने वाली गली कृष्णा साईकिल वाले के बगल से ए.डी. ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यू्ट मुरैना मोबा. 8871648109, 7987156609 ।
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