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प्रकरण में अनावेदक क्रमांक-1 व 2 प्रारंभ से ही एकपक्षीय होकर उनके द्वारा कोई भी जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया है परंतु अनावेदक क्रमांक-3 ने दावे को सारत: अस्वीकार करते हुये अपने जवाब में अतिरिक्त कथन किये है कि आवेदक द्वारा उपरोक्त प्रकरण न्यायालय के समक्ष अपूर्ण दाण्डिक अभिलेख के आधार पर असत्य तथा निराधार अभिवचनों के साथ प्रस्तुत किया गया है। वाहन के स्वामी तथा पुलिस द्वारा भी मोटरयान अधिनियम में निहित अनुसार दुर्घटना की सूचना बीमा कंपनी को तत्काल नहीं दी गई हैं। आवेदक द्वारा दुर्घटना में कारित हुई चोटों के विवरण, कराये गये इलाज, उसके प्रकर, इलाज में किये गये व्यय एवं स्वयं की आय, आयु जबलपुर में निवास आदि के संबंध में कोई प्रमाणिक दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किये गये है। उपरोक्त दुर्घटना थाना मझगवां जिला सतना में घटित हुई है। जे जे ए की तैयारी के लिए हमसे व्हाटस्प के माध्यम से जुडिए 9617167001 । माननीय सर्वोच्च न्यायालय एवं उच्च न्यायालय द्वारा यह न्यायमत प्रकट किया गया है कि दुर्घटना दावा लोक लाभदायी विधि है। उपहति अथवा मृत्यु की कठिन परिस्थितियों में राहत प्रदान करने के लिए यह लाभदायी विधान बनाया गया है। न्यायालय में साक्ष्य का कठोर रीति से निर्वचन करने की अपेक्षा नहीं है। अपितु पक्षकारों के अभिवचन, मौखिक व प्रलेखीय साक्ष्य पर समग्रता से विचार किया जाना चाहिए और संभावना की अधिसंभाव्यता के आधार पर वाहन की दुर्घटना में अंतर्गस्तता एवं वाहन चालक की उपेक्षा पर विचार किया जाना अपेक्षि है। प्रतिकर दावाकर्ता से दाण्डिक विचारण की भांति संदेह से परे सबूत की अपेक्षा नहीं की जाना चाहिए।
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