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VSCTI, T.R. PURAM, MORENA, DIRECTOR SS YADAV MOB: 6263735890

created Jul 11th, 02:19 by StenographerAmitJakhon


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इन आन्‍दोलनों ने वर्ण और जाति व्‍यवस्‍था के जकड़ को कमजोर करने में महतवपूर्ण योगदान किया। संत रविदास ने “जांति पांति पूछ नहीं कोय हरि को भेज सो हरि का होये” का संदेश दिया। राजवंशी और उच्‍च जाति में जनमी मीरा बाई ने अनत्‍यज भक्‍तों के साथ बराबरी का व्‍यवहार किया। सूरदास तथा वर्ण व्‍यवस्‍था और जाति प्रथा के समर्थक तुलसी दास भी इन विचारों और आन्‍दोलनों से प्रभावित हुये। तुलसी दास को भी समतावाद के समर्थन स्‍वरूप कहना पड़ा: “सिया राम मय सब जग जानी, करहु प्रणाम जोरू जुग पानी” गुरू नानक, समर्थ रामदास, नामदेव और चैतन्‍य स्‍वामी ने भी समाज में समता और सबके साथ न्‍याय का संदेश दिया। भारत में उन्‍नीसवीं सदी में पुनर्जागरण कहे जाने वाले काल में राममोहन राय ओर उनके ब्रहम समाज के साथ सामाजिक समता और न्‍याय के प्रबल समर्थक थे। दयानन्‍द सरस्‍वती पहले व्‍यक्ति थे जिन्‍होंने “स्‍वराज्‍य” और “भारत भारतियों के लिए है” की आवाज उठायी। उन्‍होंने स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकार के लिये तथा अस्‍पृश्‍यता ओर अन्‍धविश्‍वास के निवारण के लिए संघर्ष किया। दयानन्‍द ने अछूत कहे जाने वाले जातियों के लोगें को धार्मिक ग्रन्‍थ पढ़ने के अधिकार को न्‍यायोचित और धर्म सममत सिद्ध किया। वह पहले व्‍यक्ति थे जिन्‍होंने अछूतों के लिए “हरिजन” शब्‍द का प्रयोग किया। विख्‍यात दार्शनिक सर्वपलली राधाकृष्‍णन के अनुसार दयानन्‍द सरस्‍वती उन लोगों में से थे जिन्‍होंने आधुनिक भारत का निर्माण किया। ज्‍योतिबा फुले नाम से प्रसिद्ध ज्‍योति राव फुले (पूरा नाम ज्‍योति राव गोविन्‍द राव फुले) उन्‍नीसवीं शताब्‍दी में भारत के सुधारकों के बीच पहले पिछड़ी जाति में जन्‍में सुधारक थे। उनका जन्‍म महाराष्‍ट्र में माली जाति में हुआ था। समाजवादी विचार और आन्‍दोलन उतना ही पुराना है जितना मानव समाज में वैयक्तिक व्‍यक्तिगत संपति तथा उसमें असमानता जाना।  

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