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VSCTI, T.R. PURAM, MORENA, DIRECTOR SS YADAV MOB: 6263735890

created Jul 10th, 01:57 by Ayaz Khan


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यह याची की शिकायत थी कि पुराना होने के कारण उसके विरूद्ध संस्थित किये गये मामलों में इस न्‍यायालय ने आपराधिक प्रकीर्ण मामला संख्‍या 22826 सन् 2017 में एक दूसरे मामले में याची की जमानत मंजूर किया और यह निर्देश दिया कि याची हर एक तारीख पर न्‍यायालय में व्‍यक्तिगत तौर पर हाजिर होगा तथा शर्त का कोई भंग उसकी जमानत के रद्द किये जाने की कोटि में आयेगा। यह याची प्राख्‍यान करता है कि भागलपुर केंद्रीय कारागार को उसके स्‍थानांतरण के परिणामस्‍वरूप याची व्‍यक्तिगत तौर पर हाजिर होने में असमर्थ है जो इस न्‍यायालय के आदेश का उल्‍लंघनकारी होगा। दूसरे यह निवेदन किया जाता है कि भागलपुर केंद्रीय कारागार को उसके स्‍थानांतरण के परिणामस्‍वरूप तथा पटना में मामलों में पेश किये जाने के परिणामस्‍वरूप पटना में मामलों के विचारण में विलंब किया जा रहा है। वह भागलपुर में किसी मामले में वांछित नहीं है। प्रति शपथ पत्र में यह कथन करने से पृथक कि पटना में उसकी मौजूदगी प्राधिकारियों के लिए चिन्‍ता का कारण बन रही थी क्‍योंकि वह लोगों को आतंकित करने एवं अवैध गतिविधियों में संलिप्‍त था, इसलिए प्राधिकारियों के पास उसको भागलपुर केंद्रीय कारागार में स्‍थानांतरित करने के सिवाय कोई विकल्‍प नहीं बचा था। यह याची की ओर से निवेदन किया जाता है कि केवल उस आदेश को ध्‍यान में रखते हुए जैसा कि ऊपर आदेश किया गय अपितु इस तथ्‍य को भी ध्‍यान में रखते हुए कि जबलपुर से उसकी अनुपस्थिति विचारण में विलंब कारित कर रही थी, उसको पटना वापस लाये जाने का निर्देश दिया गया। इस मामले पर विचार करते हुए मैं सोचता हूं कि रिट आवेदन पत्र को निश्चित रूप से सफल होना चाहिए। जब एक बार एक व्‍यक्ति को लंबित विचारण के दौरान न्‍यायिक अभिरक्षा में रखा जाता है तो प्राधिकरीगण ऐसा कोई भी कदम नहीं उठा सकते हैं जो उसके विचारण में विलंब करेगा। आगे, यदि प्राधिकारियों को कारागार में उसके विरूद्ध होते हुए भी भयादोहन या अन्‍य असैधानिक गतिविधि में याची के संलिप्‍त होने की आशंका है तो स्‍वयं जबलपुर के अंदर उसको नियंत्रित करने के लिए मार्गो एवं साधनों का उपाय करना प्राधिकारी पर होता है।  

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