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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
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नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में तीसरी बार बनी सरकार का कामकाज शुरू हो गया है। पदभार संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने पहले फैसले में किसान सम्मान निधि की 17वीं किस्त जारी कर इसे आगे भी बनाए रखने के संकेत दिए। नए मंत्रियों को विभागों का बंटवारा भी हो गया है। इसके साथ ही कैबिनेट की पहली बैठक में तीन करोड़ नए आवास बनाने की घोषणा करके सभी को छत मुहैया कराने के अपने इरादों को भी साफ कर दिया है। मोदी ने पहली बार में ही 71 मंत्रियों को अपनी टीम में शामिल कर यह भी साफ कर दिया है कि सरकार की पहली प्राथमिकता अपने कामों को गति देना है।
मंडिमंडल गठन में हर बार की तरह राज्यों के साथ-साथ जातिगत समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखा गया है। इस बार के मंडिमंडल में पिछली बार वाले 37 चेहरे नहीं है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश ने हालांकि भाजपा की उम्मीद पर तुषारापात जरूर किया लेकिन फिर भी यहां से 10 मंत्रियों को मौका मिला है। मंत्रिमंडल की औसत आयु 57 वर्ष है, यानी अनुभव के साथ ऊर्जा को भी पूरा स्थान दिया गया है। राजनीतिक विश्लेषक हर मंत्रिमंडल का विश्लेषण अपने-अपने तरीके से करते है। इस बार भी यह विश्लेषण हो रहा है। मंडिमंडल में प्रधानमंत्री समेत सात पूर्व मुख्यमंत्री हैं, पर 71 सदस्यीय मंत्रिमंडल में सिर्फ सात ही महिलाओं का होना, नारी उत्थान के दावों पर प्रश्नचिह्न जरूर खडे़ करता है। आजादी के बाद से देश ने अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेतृत्व में बनी अलग-अलग सरकारों को देखा है। बीते दस सालों में मोदी सरकार अनेक फैसलों से देश को चौंका चुकी है। चुनाव रैरियों में मोदी ने दस साल के काम को ट्रेलर बताते हुए साफ किया था कि असली पिक्चर, तो अभी शुरू होगी । देश को इंतजार रहेगा कि अपने तीसरे कार्यकल में मोदी सरकार क्यों बड़े फैसले लेती है। महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दे देश के सामने हमेशा की तरह इस बार भी खड़े है। देश को दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाना भी एक चुनौती है। सबका साथ सबका विकास के मुद्दे को भी गति देने की अपेक्षा अगले पांच सालों में रहेगी।
मंडिमंडल गठन में हर बार की तरह राज्यों के साथ-साथ जातिगत समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखा गया है। इस बार के मंडिमंडल में पिछली बार वाले 37 चेहरे नहीं है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तरप्रदेश ने हालांकि भाजपा की उम्मीद पर तुषारापात जरूर किया लेकिन फिर भी यहां से 10 मंत्रियों को मौका मिला है। मंत्रिमंडल की औसत आयु 57 वर्ष है, यानी अनुभव के साथ ऊर्जा को भी पूरा स्थान दिया गया है। राजनीतिक विश्लेषक हर मंत्रिमंडल का विश्लेषण अपने-अपने तरीके से करते है। इस बार भी यह विश्लेषण हो रहा है। मंडिमंडल में प्रधानमंत्री समेत सात पूर्व मुख्यमंत्री हैं, पर 71 सदस्यीय मंत्रिमंडल में सिर्फ सात ही महिलाओं का होना, नारी उत्थान के दावों पर प्रश्नचिह्न जरूर खडे़ करता है। आजादी के बाद से देश ने अलग-अलग राजनीतिक दलों के नेतृत्व में बनी अलग-अलग सरकारों को देखा है। बीते दस सालों में मोदी सरकार अनेक फैसलों से देश को चौंका चुकी है। चुनाव रैरियों में मोदी ने दस साल के काम को ट्रेलर बताते हुए साफ किया था कि असली पिक्चर, तो अभी शुरू होगी । देश को इंतजार रहेगा कि अपने तीसरे कार्यकल में मोदी सरकार क्यों बड़े फैसले लेती है। महंगाई बेरोजगारी जैसे मुद्दे देश के सामने हमेशा की तरह इस बार भी खड़े है। देश को दुनिया की तीसरी अर्थव्यवस्था बनाना भी एक चुनौती है। सबका साथ सबका विकास के मुद्दे को भी गति देने की अपेक्षा अगले पांच सालों में रहेगी।
