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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

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एक शिक्षक ने विद्यालय में वाद-विवाद प्रतियोगिता का आयोजन किया। विषय था- जीवों पर दया एवं प्राणी मात्र की सेवा। निर्धारित तिथि को प्रतियोगिता प्रारंभ हुई। एक छात्र ने कहा कि हम दूसरों की सेवा तभी कर सकते हैं जब हमारे पास इसके लिए पर्याप्‍त संसाधन हों। कुछ छात्रों का यह भी मत था कि सेवा के लिए संसाधन होना जरूरी नहीं है, जज्‍बा होना चाहिए। सभी प्रतिभागियों ने अपनी-अपनी  बात रखी। पुरस्‍कार देने का समय आया तो एक छात्र को पुरस्‍कार के लिए चुना गया, जो मंच पर बोलने तक नहीं आया। यह देख अन्‍य छात्रों में गुस्‍से के स्‍वर उठने लगे। तब शिक्षक ने सभी को शांत करते हुए कहा, आपको शिकायत है कि मैंने ऐसे छात्र को क्‍यों चुना, जिसने प्रतियोगिता में भाग ही नहीं लिया। मैं जानना चाहता था कि छात्रों में सेवा को सबसे बेहतर कौन समझता है। इसलिए मैंने एक घायल बिल्‍ली को प्रतियोगिता स्‍थल के प्रवेश द्वार पर रख दिया था। आप सभी एक ही दरवाजे से अंदर आए, लेकिन किसी ने भी उस बिल्‍ली की और ध्‍यान नहीं दिया। यह अकेला प्रतिभागी था, जिसने वहां रूककर उस घायल बिल्‍ली का उपचार किया और उसे सुरक्षित स्‍थान पर छोड़ आया। सेवा-सहायता डिबेट का विषय नहीं, जीवन जीने की कला है।   

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