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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created May 3rd, 10:13 by Jyotishrivatri
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एक गांव में एक किसान रहता था। बुवाई के दिनों में वह रोज सुबह हल और अपने बैलों के साथ खेत पर पहुंच जाता। खूब मेहनत करता। उसके खेत में भरपूर फसल होती, जिसे बेच कर किसान आराम से रहता था। किसान अपने बैलों को रोज हरी-हरी घास खिलाता। उन्हें नहलाता, फिर उनकी मालिश करता। इससे उसके बैल भी खूब तंदूरूस्त हो गए थे। किसान ने उनके गले में सुंदर-सी घंटियां बांध दी थी। जब वे चलते , तो घंटियों की आवाज सुन कर उसे बहुत अच्छा लगता। किसान अपने हल का भी बहुत ध्यान रखता था। रोज उसकी धूल साफ करके चमकाता। तीज-त्योहारों पर उसकी पूजा करता। धीरे-धीरे बैलों और हल को अपने पर बहुत घंमड हो गया। बैलों को लगता कि किसान के घर खुशहाली उनके कारण है। अगर वे खेत जोतने न जाएं तो वहां एक दाना भी पैदा नहीं होगा। उधर हल को लगता कि खेतों की असली जुताई तो वह करता हैं, बैल तो खाली खेत में टहलते रहते है। एक दिन दोनों में बहस हो गई। बैलों ने कहा, खेत हम जोतते हैं। उसमें सारी मेहनत हमारी लगती है, इसलिए किसान हमें अपने हाथों से खिलाता हैं। धरती का सीना फाड़ कर ताजी मिट्टी बाहर मैं लाता हूं। इसलिए असली जुताई मैं ही करता हूं। तभी किसान मेरी पूजा करता है। हल ने अकड़ते हुए कहा। झगड़ा बढ गया तो वे फैसला कराने किसान के पास पहुंचे। किसान दोनों को बराबर प्यार करता था। कुछ सोच कर उसने बैलों से कहा, तुम्हारा कहना सच है। तुम बहुत मेहनत करते हो। जाओं, आज खेत तुम जोत आओ। बैल खुशी से उछलते-कूदते खेत पहुंच गए। वे पूरा दिन खेत में चलते रहे। शाम को किसान ने आकर देखा, खेत जरा-सा भी नहीं जुता था। किसान ने कुछ नहीं कहा। वह बैलों को ले कर चुपचाप घर लौट आया। अगले दिन वह हल को कंधे में पर लाद कर खेत पर पहुंचा। वहां उसने हल को जमीन पर रख दिया। फिर बोला, तुम भी मेरे लिए बहुत मेहनत करते हो, आज यह पूरा खेत तुम जोत डालो। हल को वहीं छोड़ किसान घर लौट आया। आज हल को अपनी काबलियत साबित करने का मौका मिला था। उसने सोचा कि शाम होने से पहले ही वह पूरा खेत जोत डालेगा। मगर यह क्या, वह तो अपनी जगह से टस से मस भी नहीं हो पाया। जिस खेत को वह दौड़ते हुए जोतता था, आज उसमें हिल भी नहीं पा रहा था। शाम को किसान आया तो उसने देखा, आज भी खेत जरा-सा भी नहीं जुता था। हल और बैल, दोनों ही अपनी-अपनी असफलता से बहुत दुखी थे। यह देख किसान ने समझाया- हम सबकी शक्ति एकता में है। अलग-अलग हो कर हम सब अधूरे है। इसलिए आपस में लड़ने के बजाय अगर हम मिल-जुल कर काम करें, तो कोई भी काम असंभव नहीं है। उस दिन से सभी ने मिलकर खूब जुताई की। थोड़े ही दिनों में खेतों में हरी-भरी फसल लहलहाने लगी।
शिक्षा: संगठित रहकर हम बड़े से बड़ा कार्य कर सकते हैं।
शिक्षा: संगठित रहकर हम बड़े से बड़ा कार्य कर सकते हैं।
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