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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created May 2nd, 04:36 by lucky shrivatri
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एक राजा बहुत ही आलसी था। वो सोचता बिना कर्म और परिश्रम किए ही उसकी प्रजा और उसके राजमहल के लोग उसे खूब सम्मान और स्नेह दें। उसकी प्रशंसा करें। लेकिन सब लोग उससे बहुत नफरत करते और सोचते ये कब राजगद्दी छोड़ेगा और एक अच्छा राजा इस गद्दी पर बैठेगा। आखिर एक दिन राजा के महामंत्री ने एक योजना बनाई और राजा से बोला महाराज राजमहल में मैने सभी के मनोरंजन के लिए एक नाटक का आयोजन करवाया है। आप उसमें पधारें। राजा ने नाटक में देखा मानों पूरा नाटक उसकी ही कहानी कह रहा हो और कैसे उससे पूरे राजमहल के लोग और प्रजा दुखी है। उसने महामंत्री को बुलाया और बोला क्या मैं इतना बुरा राज हूं? महामंत्री बोला, नहीं महाराज आप तो महान राजा हैं, पर बिना कर्म और परिश्रम किए तो किसी को भी प्रशंसा, सम्मान और स्नेह नहीं मिलता।
पत्थर को भी कर्म और परिश्रम करना पड़ता है तब जाकर वो हीरा बनाता है। आप तो एक राजा हैं आपको बिना कर्म किए प्रजा के लोगों की प्रशंसा और स्नेक कैसे मिल सकता है। राजा को बात समझने में पलभर भी नहीं लगा।
पत्थर को भी कर्म और परिश्रम करना पड़ता है तब जाकर वो हीरा बनाता है। आप तो एक राजा हैं आपको बिना कर्म किए प्रजा के लोगों की प्रशंसा और स्नेक कैसे मिल सकता है। राजा को बात समझने में पलभर भी नहीं लगा।
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