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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created May 1st, 06:33 by lovelesh shrivatri
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सूरत नहीं बल्कि सीरत से ही किसी के व्यक्तित्व के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। मुश्किल यह है कि जब सीरत अर्थात योग्यता के बजाय सूरत यानी चेहरे मोहरे पर ही टीका-टिप्पणी होती दिखे तो यह सामाजिक माहौल में पनप रही विदूपता का संकेत है। उत्तरप्रदेश में फेशियल हेयर के कारण दसवी बोर्ड की परीक्षा टॉप करने वाली छात्रा निगम को सोशल मीडिया पर जिस तरह से ट्रोलर्स की टीका-टिप्पणियों को सोशल मीडिया पर सामना करना पड़ा, उससे छात्रा व उसके पिरजनों का आहत होना स्वाभाविक है। छात्रा ने ट्रोलर्स को करारा जवाब दिया भी है, लेकिन इस उपलब्धि पर उसे इतना सब झेलना पड़ेगा, इसकी उसे सपने में भी उम्मीद नहीं रही होगी।
एक होनकार बालिका का इस तरह से मजाक उड़ाने वालों को समझना चाहिए कि फेशियल हेयर जैसी समस्यों की बड़ी वजह हार्मोन्स होते है और ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। ट्रोलर्स यदि छात्रा की जगह अपने परिवार के किसी सदस्य को रख कर देखेंगे तो उनको अपनी भूल का अंदाजा हो ही जाएगा। चिंता की बात यह भी हैं कि छात्रा की इस समस्या का कारोबारी लाभ लेने के प्रयास भी हुए। छात्रा से हमदर्दी दिखाने की आड़ में शेविंग कंपनी ने जो बेहूदा विज्ञापन जारी किया, वह इसी कारोबारी प्रवृत्ति की ओर इंगित करता है। आखिर सहमति के बिना कोई प्रचार सामग्री में किसी के नाम का इस्तेमाल कैसे कर सकता है? ऐसा दुस्सााहस करने वाले कारोबारियों को लताड़ ही काफी नहीं बल्कि उनके खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई भी होना आवश्यक है। यह बात सब जानते है कि शारीरिक बनावट रंग-रूप, कद आदि सब प्रकृति प्रदत्त है। जिस बालिका को दसवीं तक पढ़ाई के दौरान कभी भी अपने फेशियल हेयर को लेकर असहजता महसूस नहीं हुई हो, उसे सोशल मीडिया में इस तरह से ट्रोल किया जाना अधिकांश लोगो को अच्छा भी नहीं लगा होगा। छात्रा के उस साहसपूर्ण बयान की तारीफ की जानी चाहिए जिसमें उसने कहा कि उसके लिए फेशियर हेयर नहीं बल्कि उसके द्वारा हासिल किए गए अंक मायने रखते है।
बड़ी चिंता इस बात की है कि सोशल मीडिया मंचों का लगातार गलत इस्तेमाल भी होने लगा है। ऐसा कई बार देखने में आता हैं, जब अपना बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद रंग-रूप, चाल-ढाल आदि को लेकर खिलाडियो व अभिनेताओं का मजाक बनाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया। किसी का मजाक उड़ाने के इस तरह के प्रयासों को सख्ती से रोकने की आवश्यकता है।
एक होनकार बालिका का इस तरह से मजाक उड़ाने वालों को समझना चाहिए कि फेशियल हेयर जैसी समस्यों की बड़ी वजह हार्मोन्स होते है और ऐसा किसी के साथ भी हो सकता है। ट्रोलर्स यदि छात्रा की जगह अपने परिवार के किसी सदस्य को रख कर देखेंगे तो उनको अपनी भूल का अंदाजा हो ही जाएगा। चिंता की बात यह भी हैं कि छात्रा की इस समस्या का कारोबारी लाभ लेने के प्रयास भी हुए। छात्रा से हमदर्दी दिखाने की आड़ में शेविंग कंपनी ने जो बेहूदा विज्ञापन जारी किया, वह इसी कारोबारी प्रवृत्ति की ओर इंगित करता है। आखिर सहमति के बिना कोई प्रचार सामग्री में किसी के नाम का इस्तेमाल कैसे कर सकता है? ऐसा दुस्सााहस करने वाले कारोबारियों को लताड़ ही काफी नहीं बल्कि उनके खिलाफ दण्डात्मक कार्रवाई भी होना आवश्यक है। यह बात सब जानते है कि शारीरिक बनावट रंग-रूप, कद आदि सब प्रकृति प्रदत्त है। जिस बालिका को दसवीं तक पढ़ाई के दौरान कभी भी अपने फेशियल हेयर को लेकर असहजता महसूस नहीं हुई हो, उसे सोशल मीडिया में इस तरह से ट्रोल किया जाना अधिकांश लोगो को अच्छा भी नहीं लगा होगा। छात्रा के उस साहसपूर्ण बयान की तारीफ की जानी चाहिए जिसमें उसने कहा कि उसके लिए फेशियर हेयर नहीं बल्कि उसके द्वारा हासिल किए गए अंक मायने रखते है।
बड़ी चिंता इस बात की है कि सोशल मीडिया मंचों का लगातार गलत इस्तेमाल भी होने लगा है। ऐसा कई बार देखने में आता हैं, जब अपना बेहतर प्रदर्शन करने के बावजूद रंग-रूप, चाल-ढाल आदि को लेकर खिलाडियो व अभिनेताओं का मजाक बनाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया गया। किसी का मजाक उड़ाने के इस तरह के प्रयासों को सख्ती से रोकने की आवश्यकता है।
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