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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ (सीपीसीटी, एवं TALLY ) MOB. NO. 8982805777

created Apr 22nd, 05:54 by shilpa ghorke


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पर्वत या पहाड़  की धरती भू सतह पर प्राकृतिक रूप से ऊंचा उठा हुआ भाग होता है जो अधिकतर अटपटे तरीके से उभरा होता है और पहाड़ी से बड़ा होता है। पर्वत अधिकतर एक लगातार समूह में होते हैं। पर्वत कई प्रकार के होते है। ये तब बनते हैं जब धरती की  टेकटोनिक चट्टानें एक दूसरे से टकराती या सिकुड़ती हैं। जिससे धरती की सतह में मोड़ के कारण उभार जाता है। दुनिया के लगभग सभी बड़े और ऊंचे पर्वत युवा मोडदार पर्वत हैं। हिमालय यूरोपीय पूर्वी अमरीकी तथा दक्षिणी अमरीकी के पर्वत वगैरह सभी युवा अर्थात नये पर्वत हैं। ये दुनिया के सबसे नये पर्वत हैं तथा सब से ऊंचे पर्वत हैं। कुछ पर्वत पुराने होते है जिनको बने हुए बहुत समय हो चुका है। ये पर्वत अब नहीं बनते अर्थात अब उपर नहीं उठते अपितु इनका अब धीरे धीरे अपरदन होना शुरू हो गया है जैसे आरावली पर्वतमाला। पर्वत का निर्माण धरती की उपरी सतहो मे कंपन के जरिए भू भाग के उपर उठने अथवा बहुत बडे भाग के टूट कर घूमवदार रूप से बदलने में होने से होता है। उपर उठे खंड को उतखंड तथा नीचे धसे खंडों को द्रोणिका भ्रंश यानि ग्राबेन कहा जाता है जैसे यूरोप की राइन घाटी तथा पर्वत हार्ज। भारत का दक्षिणी घाट भी इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। पुराने पर्वतों का निर्माण कई प्रकार के मलवो के जमाव से होता है। जैसे जापान का फयूजियामा पर्वत भारत के झारखंड में पारसनाथ पहाड। एक पहाड की एक बडी आकृति का एक सीमित क्षेत्र में आसपास की भूमि के उपर फैला है। आम तौर पर इसे एक चोटी के रूप में देखा जा सकता है। एक पर्वत आम तौर पर एक पहाड़ी से खड़ा होता है। लेकिन वहीं पर्वत विवर्तनिक बलों या दूसरे कारणों से बनते हैं। पर्वत नदियों मौसम का हाल और हिमनदियों की कार्रवाई के जरिए से धीरे धीरे इरोड बना। कुछ पहाड़ पृथक शिखर होते हैं लेकिन ये सबसे बड़ी पर्वत श्रृंखला में होते हैं। पहाडों पर हमेशा समुद्र तल से ठंडा वातावरण रहता है। ऐसा इसलिए होता है कि यहां तापमान हमेशा बहुत कम रहता है। पर्वतों के ठंडे मौसम को बहुत पसंद किया जाता है इसलिए लोग मनोरंजन के लिए पर्वतारोहण जैसी गतिविधियां करते हैं। धरती पर सबसे उंचा पर्वत एशिया के हिमालय में सगरमाथा पर्वत है। समुद्र तल से इसके शिखर की उंचाई आठ हजार आठ सौ पचास मीटर है। नेपाल से इस पर्वत को आसानी से देखा जा सकता है। वैज्ञानिक निरिक्षण में कहा जाता है कि इसकी उंचाई प्रति वर्ष दो सेंटीमीटर के हिसाब से बढ़ रही है। इतना ही नहीं कुछ क्षेत्रों में इसे पर्वतों की रानी के नाम से भी जाना जाता है। पर्वतों की दुनिया आम लोगों के लिए बहुत रोमांचकारी होती है। जिस प्रकार से समुद्र अपने भीतर हजारों राज छुपाएं हुए है ठीक उसी तरह से पर्वतों की दुनिया भी अपने भीतर ना जाने कितने ही राज छुपाएं हुए हैं। बताया जाता है कि अभी तक पर्वतों की दुनिया को या भू भाग को अभी तक पूरा नहीं देखा गया है। पचास प्रतिशत से भी अधिक हिमालय का भाग अब तक इंसान की पहुंच से बाहर है। जिसमें हिम मानव से लेकर जाने कितने ही जीव जंतुओं मानवीय जनजातियों को शामिल किया जा सकता है। शायद इसलिए ही पर्वतीय दुनिया आकर्षक है।

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