eng
competition

Text Practice Mode

Malti Computer Center Tikamgarh

created Apr 19th, 02:36 by Ram999


0


Rating

547 words
15 completed
00:00
जल है तो कल है यह मुहावरा हमने कई बार किताबो में एवं अपने बडो से टीवी पर कई बार सुना है लेकिन हम कई बार देखते है कि सूखे के कारण कई लोग मर गये और पानी के बिना बैचेन है। हमने कई बार यह भी सुना है कि पानी बचाओ पानी बचाओ लेकिन जाने कितनी बार ब्रश करते समय और कार धोते समय और हाथ धोते समय नल को ऐसे ही खुला छोड दिया। जिसके कारण आज यह मुसीबत अपना विकराल रूप लेकर हमारे सामने जल की कमी के रूप में आई है। जैसा कि हम सभी जानते है कि जल ही जीवन है और जल है तो कल है। जल हमारे जीवन के लिये जरूरी है। इसके बाबजूद हम कई बार बहुत सारा पानी खराब करते है। जल की कमी हर साल बढती जा रही है और हम यह सोचकर पानी का संरक्षण नही करते कि बारिश के मौसम में दोबारा धरती को पानी मिल ही जायेगा। लेकिन ऐसा नही है। लोग जल के जरूरत को नही समझ रहे है। जिन जगहों पर लोग पानी की कमी से जूझ रहे है वहां के लोग तो इसकी जरूरत को समझ रहे है लेकिन जिन जगहों पर इसकी कोई कमी नही है वहां लोग बेकार के काम जैसे छत धोना और नालियों में बहाना और कपडे धोने में अधिक पानी का उपयोग करना और गाडी धोना आदि जैसे काम करके इसे खराब करते है और आने वाले सालों में ये मुसीबत और भी विकराल रूप धारण कर लेगी। यदि पानी का अंधाधुंध प्रयोग इसी तरह चलता रहा और हमने जल सरंक्षण का कोई समाधान नहीं ढूंढा तो वो दिन दूर नहीं जब हम पानी की एक बूंद बूंद के लिए तरसेंगे। इसीलिए यदि हालात इसी प्रकार चलते रहे तो पानी के अभाव से अकाल मौतें और जानवरों की सामूहिक मौतें तथा समाज के लोप हो जानेके हालात भी पैदा हो जायंगे। आज हम दिन प्रतिदिन जल का दुरूपयोग कर रहे है। जरूरी उपयोग के साथ साथ लोग इसे प्रदूषित भी कर रहे है जैसे नदी में अपने कपडे धोना और घर का कचरा नदी में बहाना तथा कारखानों की गंदगी पानी में बहाना आदि। पहले के समय में पानी भरपूर मात्रा में मिलता था। किसी भी प्रकार का प्रदूषित जल नही था और यदि होता भी था तो नदिया खुद ही जल को साफ कर लेती थी। लेकिन आज प्रदूषण बढ गया है नदिया बहुत गंदी होने के कारण खुद ही पानी को साफ नही कर पा रही है। हममें से अधिकतर यह समझते है कि हमारे पास तो भरपूर मात्रा में पानी है जब मन चाहा टैंकर मांगा लेंगे और जब मनचाहा बोरिंग करा लेंगे। मैं कितना भी पानी निकाल लूं इससे किसी को कोई मतलब नही। जितना मन चाहे पानी निकालूं। इसलिए कि बोरिंग मेरी जमीन पर है। अधिकतर लोगों की सोच ही ऐसी है हमें ऐसी सोच को बदलना होगा। बारिश के जल को संचित कर उसे बचाना आज हमारी प्रथम जरूरत बन गयी है। बारिश के पानी को बचाने के लिए छोटे छोटे तालाब और कुएं आदि को जगह जगह बनवाने चाहिए। अधिक पौधे लगाने चाहिए जिससे अधिक से अधिक बारिश हो सके। दूषित पानी को साफ करने के सरकार को अनेक कदम उठाने चाहिए। जिससे की उस गंधे पानी को साफ कर के उसका उपयोग दोबारा किया जा सके।

saving score / loading statistics ...