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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्‍येय ✤|•༻

created Apr 13th, 11:10 by Buddha Typing


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किसी ग्राम के मामलों के संबंध में नियोजित प्रत्‍येक अधिकारी और ग्राम में निवास करने वाला प्रत्‍येक व्‍यक्ति, निकटतम मजिस्‍ट्रेट को या निकटतम पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी को, जो भी निकटतर हो, कोई भी जानकारी जो उसके पास हो, तत्‍काल संसूचित करेगा। किसी व्‍यक्ति का, जिसका वह ठग, लुटेरा, निकल भागा सिद्धदोष या उद्घोषित अपराधी होना जानता है या जिसके ऐसा होने का उचित रूप से संदेह करता है, ऐसे ग्राम के किसी भी स्‍थान में आना-जाना या उसमें से हा कर जाना; ऐसे ग्राम में या उसके निकट कोई अजमानतीय अपराध या भारतीय दंड संहिता (1860 का 45) की धारा 143, धारा 144, धारा 145, धारा 147 या धारा 148 के अधीन दंडनीय कोई अपराध किया जाना या करने का आशय ऐसे ग्राम के निकट, भारत के बाहर किसी स्‍थान में ऐसा कोई कार्य किया जाना या करने का आशय जो यदि भारत में किया जाता तो भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं, अर्थात 231 से 238 तक (दोनों सहित), 302, 304, 382, 392 से 399 तक (दोनों सहित), 402, 435, 436, 449, 450, 457 से 460 तक 489क, 489ख, में से किसी के अधीन दंडनीय अपराध होता; व्‍यवस्‍था बनाए रखने या अपराध के निवारण अथवा व्‍यक्ति या संपत्ति के क्षेम पर संभाव्‍यता प्रभाव डालने वाला कोई विषय जिसके संबंध में जिला मजिस्‍ट्रेट ने राज्‍य सरकार की पूर्व मंजूरी से किए गए साधारण या विशेष आदेश द्वारा उसे निदेश दिया है कि वह उस विषय पर जानकारी संसूचित करे।
     उद्घोषित अपराधी पद के अंतर्गत ऐसा व्‍यक्ति भी है जिसे भारत के किसी ऐसे राज्‍यक्षेत्र में जिस पर इस संहिता का विस्‍तार नहीं है किसी न्‍यायालय या प्राधिकारी ने किसी ऐसे कार्य के बारे में, अपराधी उद्घोषित किया है जो यदि उन राज्‍यक्षेत्रों में, जिन पर इस संहिता का विस्‍तार है, किया जाता तो भारतीय दंड संहिता की इन धाराओं, अर्थात्-302, 304, 382, 392 से किसी के अधीन दंडनीय अपराध होता।

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