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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Apr 5th, 07:46 by lucky shrivatri


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वर्धमान नामक शहर में एक कुशल व्‍यापारी रहा करता था। जब उस राज्‍य के राजा को उसकी कुशलता के बारे में पता चला, तो राजा ने उसे अपने राज्‍य का प्रशासक बना दिया। व्‍यापारी की कुशलता से आम व्‍यक्ति से लेकर राजा तक सभी बहुत खुशी में व्‍यापारी ने बहुत बड़े भोज का आयोजन किया। इस भोज समारोह में उसने राजा से लेकर राज्‍य के सभी लोगों को आमंत्रित किया। इस समोरह में राजघराने में काम करने वाला एक सेवक भी आया, जो गलती से राज परिवार के सदस्‍यों के लिए रखी कुर्सी पर बैठ गया। उस सेवक का उपहास कर समारोह से भगा देता है। इसके लिए सेवक को शर्मिंदगी महसूस होती है और व्‍यापारी को सबक सिखाने की ठान लेना है। कुछ दिन बाद जब वह राजा के कमरे की सिफाई कर रहा होता है। तो उस समय राजा कच्‍ची नींद में होता है। सेवक मौंके का फायदा उठाकर बड़बड़ाना शुरू कर देता है। सेवक बोलता है, व्‍यापारी की इतनी हिम्‍मत, जो रानी के साथ दुर्व्‍यवहार करें। यह सुनकर राजा नींद से उठ जाता है और सेवक को कहता है, क्‍या तुमने कभी व्‍यापारी को रानी के साथ दुर्व्‍यवहार करते हुए देखा है। सेवक तुंरत राजा के पैरों में गिरकर उनसे माफी मांगने लगता है। और कहता है मैं रात में सो नहीं पाया, इसलिए मैं कुछ भी बड़ा रहा हूं। सेवक की बात सुनकर राजा सेवक को कुछ नहीं बोलता, लेकिन उसने मन में  व्‍यापारी के लिए शक पैदा हो जाता है। इसके बाद राजा ने व्‍यापारी के राज महल में प्रवेश पर पाबंदी लगाकर उसके अधिकार को कम कर दिया। अगले दिन व्‍यापारी किसी काम से राज महल में आता है तो उन्‍हें पहरेदार दरवाजे पर ही रोक देते हैं। पहरेदार का यह व्‍यवहार देखकर व्‍यापारी को आश्‍चर्य होता है। वहीं पास में खड़ा राजा का सेवक जोर-जोर से हंसने लगता है। और पहरेदार से कहता है। तुम्‍हें पता नहीं तुमने किसे रोका है। यह बहुत ही प्रभावशाली व्‍यक्ति हैं। जो तुम्‍हें यहां से बाहर निकलवा सकते है। इन्‍होंने मुझे अपने भोज समारोह से निकलवा दिया था। सेवक की उन बातों को सुनकर व्‍यापारी को सब समझ में जाता है और वह उस सेवक से माफी मांगता है। साथ ही वह उस सेवक को अपने घर दावत के लिए आमंत्रित करता है। व्‍यापारी ने सेवक को बड़ें विनम्र भाव से भोज कराया और कहा कि उस दिन जो भी किया वह गलत था। व्‍यापारी से सम्‍मान पाकर सेवक खुश होता है और कहता है, आप  परेशान हो राजा से खोया हुआ सम्‍मान आपको जल्‍दी वापस दिलांऊगा। उसके  अगले दिन राजा जब कच्‍ची नींद में होता है, तो सेवक कमरे की सफाई करते हुए फिर से बड़बड़ाते लगता है और कहता है, हे भगवान हमारे राजा इतने भूखे होते हैं कि गुसलखाने में स्‍नान करते हुए खीर खाते रहते हैं। इस बात को सुनकर राजा नींद से उठाकर सेवक से क्रोध में कहते हैं, मूर्ख सेवक तुम्‍हारी इतनी हिम्‍मत कि तुम मेरे बारे में ऐसी बात करों। राजा क्रोध को देखकर सेवक पैर में गिरकर माफी मांगता है और कहता है, महाराज रात को मैं ठीक तरह से सो नही पाया,  इसलिए कुछ भी बड़बड़ा रहा हूं।   

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