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Malti Computer Center Tikamgarh
created Mar 29th, 03:04 by Ram999
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देश की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सरकार पर जो आरोप लगाए, वे गंभीर हैं। हालांकि विपक्षी पार्टी होने के नाते कांग्रेस सरकार पर तमाम तरह के आरोप लगाती रहती है, फिर भी देश में चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और प्रामाणिकता पर सवाल उठाने वाले इन आरोपों की अनदेखी नहीं होनी चाहिए। आरोपों की गंभीरता इसे सार्वजनिक करने के पार्टी के अंदाज से भी झलकती है। यह पहला मौका है जब पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी व राहुल गांधी ने एक साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस की। आम चुनावों की घोषणा के बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस बीच, देश की मुख्य विपक्षी पार्टी आरोप लगाए कि उसे चुनाव लड़ने और प्रचार करने की स्थिति में नहीं छोड़ा जा रहा तो उस पर पूरी तस्वीर साफ होनी चाहिए। यह बात सही है कि लोकतंत्र में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार कोई नई चीज नहीं है। लेकिन मतभेदों के बीच भी सत्तापक्ष और विपक्ष में संवाद की निरंतरता लोकतंत्र की सेहत के लिए जरूरी मानी जाती है। अफसोस की बात है कि कुछ समय से दोनों के बीच का टकराव संवाद को बाधित करने की हद तक पहुंच गया है। कांग्रेस नेताओं ने गुरुवार को जो आरोप लगाए, उनमें तल्खी थी। पार्टी ने कहा कि आयकर विभाग के अधिकारियों के जरिए सरकार ने मुख्य विपक्षी पार्टी को वित्तीय तंगी के उस हाल में पहुंचा दिया है कि वह न तो कहीं विज्ञापन दे सकती है, न अपने नेताओं के लिए हवाई यात्रा के टिकट बुक कर सकती है और न ही रैलियां आयोजित कर सकती है। हालांकि ये सब अभी महज एक पार्टी के आरोप मात्र हैं। इन पर सत्तारूढ़ दल, सरकार और संबंधित विभागों व उनसे जुड़े अधिकारियों का अपना पक्ष है। किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले इन सभी पक्षों पर अच्छी तरह गौर करने की जरूरत है। लेकिन यह समझना जरूरी है कि किसी को लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने या चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता को प्रभावित करने की छूट नहीं दी जा सकती। अगर कांग्रेस के खाते में कोई गड़बड़ी है तो उसकी निष्पक्ष जांच होनी ही चाहिए, लेकिन वह इस तरह से हो कि चुनाव लड़ने की प्रक्रिया पर प्रभाव न पड़े। किसी भी तरह से यह संदेश न जाए कि किसी विभाग के अफसर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से विपक्षी दल को निशाना बना रहे हैं। याद रहे कि इस तरह के कदम दुनिया में एक लोकतंत्र के रूप में भारत की साख को प्रभावित कर सकते हैं।
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