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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Mar 21st, 07:31 by lucky shrivatri


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एक वक्‍त था जब लोकतांत्रिक देशों में भी स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष चुनाव कराना बड़ी चुनौती थी। भारत जैसे देश में भी स्‍वतंत्र और निष्‍पक्ष चुनाव की राह में कम चुनौतियां नहीं है। चुनाव आयोग अपनी तरफ से बाधा रहित चुनाव कराने के बंदोबस्‍त में जुटा है। अपने इन्‍हीं प्रयासों के तहत चुनाव आयोग ने ताजा निर्देशों के तहत छह राज्‍यों में गृह संचिवों पश्चिम बंगाल के पुलिस महानिदेशक को हटाने के लिए कहा है। चुनाव आयोग के स्‍थायी निर्देशों की पालना नहीं होने पर यह सख्‍ती की गई है। पहले से जारी व्‍यवस्‍था के अनुसार चुनाव कार्यो से जुड़े उन अफसरों को अन्‍यत्र स्‍थानांतरित करना होता है जो पदस्‍थापन के तीन साल एक ही जगह पर पूरे कर चुके हैं या जिनकी तैनाती गृह जिले में है।  
हैरत की बात यह है कि चुनाव कार्यक्रम घोषित होने के बाद भी संबंधित राज्‍यों में इन अहम पदों पर अफसरों को तैनात किया हुआ था। महाराष्‍ट्र में कुछ नगरीय निकायों में भी आयोग ने निर्देशों की अनदेखी पर नाराजगी जाहिर की है। भारत के आम चुनावों पर पूरी दुनिया की नजर इसलिए भी रहती हैं कि यहां के चुनाव दूसरे देशों के लिए नजीर भी बनते है। यह बात सही है कि बीते बरसों में हमारे यहां चुनावी हिंसा की घटनाओं में अपेक्षाकृत कमी आई है। लेकिन यह भी सही हैं कि कुछ राज्‍य अब भी मतदान पूर्व और उसके बाद होने वाली हिंसक घटनाओं के लिए बदनाम है। ऐसे में कई बार स्‍थानीय अफसरों की मिलीभगत अथवा लापरवाही भी सामने आती रही है। निष्‍पक्ष चुनावों की दिशा में सिर्फ आयोग का यह कदम ही पर्याप्‍त नहीं। बड़ी चुनौती कालेधन के प्रवाह को रोकने की भी है। हर बार आयोग की सतर्कता टीमें करोड़ों रूपए बरामद करती रही है, जिनका कहीं कोई हिसाब-किताब नहीं होता। इसी तरह चुनावी में प्रलोभन के रूप में मतदाताओं को शराब अन्‍य सामग्री बांटे जाने की खबरें भी आती रहती है। रही-सही कसर प्रचार अभियान में नेताओं उनके समर्थकों के बिगड़े बोल पूरी कर देते है। पहले से लेकर  सातवें चरण तक के मतदान और इसके बाद मतगणना तक का लम्‍बा समय है।  

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