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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ (सीपीसीटी, एवं TALLY ) MOB. NO. 8982805777
created Mar 21st, 06:25 by shilpa ghorke
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एक जंगल में गर्मियों के दिन थे और एक चींटी पानी की तलाश में इधर-उधर घूम रही थी। प्यासी चींटी को काफी देर भटकने के बाद एक नदी दिखी। नदी को देखकर चींटी बहुत खुश हुई। प्यासी चींटी पानी पीने के लिए एक छोटी सी चट्टान पर चढ़ी और वह फिसल कर नदी में गिर गई। नदी में गिरने के कारण चींटी नदी में डूबने लगी। नदी के पास में एक कबूतर रहता था वह पेड़ पर बैठकर यह सब देख रहा था कबूतर ने देखा की चींटी को तुरंत ही मदद की जरूरत है। कबूतर उड़कर गया और एक पेड़ से पत्ता तोड़कर ले आया। इसके बाद कबूतर ने पत्ता नदी में गिरा दिया। जिसके बाद चींटी तैरकर पत्ते पर चढ़ गई और पत्ता बहकर नदी के किनारे आ गया। जिसके बाद चींटी नदी किनारे आ गयी और चींटी की जान बच गयी। इस घटना के चींटी और कबूतर में अच्छी दोस्ती हो गई। दोनों खुशी से साथ रहने लगे। फिर एक दिन जंगल में एक शिकारी आया। शिकारी ने पेड़ पर कबूतर को बैठे देखा शिकारी ने कबूतर मारने के लिए बन्दूक से निशाना साधा। लेकिन पास में मौजूद चींटी यह सब देख रही थी चींटी तुरंत ही शिकारी के पास गई। और चींटी ने पूरी ताकत से शिकारी के पैर पर काटा। जिससे शिकारी दर्द के मारे चिल्लाने लगा। शिकारी के हाथ से बंदूक गिर गई। शिकारी की आवाज़ सुनकर कबूतर ने शिकारी को देख लिया। कबूतर तुरंत ही वहां से उड़ गया। जब शिकारी चला गया और इसके बाद कबूतर ने चींटी के पास जाकर उसका धन्यवाद किया। इस तरह से हम देखें चींटी और कबूतर एक दूसरे के काम आये। उपरोक्त कहानी से हमें यह सीख मिलती है की जीवन में किये गए नेकी और अच्छे काम कभी बेकार नहीं जाते। अच्छे काम करते रहिये इनका फल लौटकर जरूर आपके पास आता है।
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