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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Mar 16th, 12:10 by lovelesh shrivatri
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किसी जंगल में एक विरक्त ऋषि ईश्वर की पूजा करने में तल्लीन थे, तभी एक कुत्ता वहां आकर उनके करीब बैठ गया। कुछ देर बाद वहां से कुछ लोग गुजरे। उनमें से एक युवक ने ऋषि से व्यंग्यपूर्ण तरीके से पूछा, ऋषिवर! आप गांव-गांव घूमकर मांगते-खाते हैं और निठल्ले रहते हैं, जबकि आपके बराबर में बैठा यह कुत्ता लोगों का दिया खाता तो जरूर है, मगर बदले में गांव की चौकीदारी भी करता है। आप ही बताएं कि श्रेष्ठ कौन है? ऋषि मुस्कुराए और बोले, वत्स यदि मैं ईश्वर का भजन करने के साथ-साथ दीन-दुखियों की सेवा करने के लिए भी हर पल तत्पर रहता हूं तब तो इस पशु से मैं श्रेष्ठ हूं और यदि मैं केवल भोग-विलास के लिए जीवन जीता हूं और दीन-दुखियों की सेवा से विमुख रहता हूं तो निश्यय ही यह श्रेष्ठ है। महात्मा के इस विनम्र उत्तर ने युवक को शर्मिदा कर दिया। उसने किसी से भी व्यंग्यपूर्ण तरीके से कुछ न कहने का संकल्प ले लिया।
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