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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ सीपीसीटी,पीजीडीसीए,डीसीए, की सम्पूर्ण तैयारी करवायी जाती है।
created Feb 20th, 06:05 by neetu bhannare
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किसी भी देश में चुनाव के दौरान होने वाली राजनीति उस देश के लोकतंत्र का एक अहम भाग होता है। राजनीति के सुचारू और सुलभ पालन के लिए यह काफी जरूरी है कि हम चुनावों में साफ सुथरी छवि वाले लोगों को अपना नेता चुने। किसी भी देश की राजनीति उस देश के संवैधानिक ढांचे पर कार्य करती है जैसे कि भारत में संघीय संसदीय व लोकतांत्रिक गणतंत्र प्रणाली लागू है। जिसमें देश का हाकिम देश का प्रमुख होता है और प्रधानमंत्री सरकार का प्रमुख होता है। इसके अलावा भारत में विधायक व सांसद जैसे कई पदों के लिए भी चुनाव होते है। एक लोकतांत्रिक देश के बेहतर विकास के लिए चुनाव और राजनीति का होना बहुत ही जरूरी है। इससे पैदा होने वाली चुनावी प्रतियोगिता जनता के लिए काफी लाभदायक होती है। हालांकि चुनावी प्रतियोगिता के फायदे के साथ नुकसान भी है। इसके कारण लोगों में आपसी मतभेद भी पैदा हो जाता है। किसी भी लोकतंत्र की राजनीति में इस बात की सबसे अधिक कीमत होती है कि आखिरकार उसकी चुनावी प्रणाली कैसी है। भारत में लोकसभा तथा विधानसभा जैसे चुनाव हर पांच वर्ष के अंतराल पर होते हैं। पांच साल बाद चुने हुए सभी प्रतिनिधियों का कार्यकाल पूरा हो जाता है। जिसके बाद लोकसभा और विधानसभा भंग हो जाती है और फिर से चुनाव करवाये जाते हैं। कई बार कई सारे प्रदेशों के विधानसभा चुनाव एक साथ होते है। जिसे कई चरणों में पूरा कराया जाता है। वहीं लोकसभा चुनाव देशभर में एक साथ होते है यह चुनाव भी कई चरणों में होते है आधुनिक समय में वोटिंग मशीनों का उपयोग होने के कारण चुनाव परिणाम चुनाव होने के कुछ दिन बाद ही जारी कर दिये जाते हैं। भारत का संविधान हर नागरिक को उसके पसंद के प्रतिनिधि को मतदान करने का अधिकार देता है। इसके साथ ही भारत के संविधान में इस बात का भी खयाल रखा गया है कि देश की राजनीति में हर वर्ग को समान अवसर मिले यहीं कारण है कि कमजोर तथा दलित समुदाय के लोगों के लिए कई क्षेत्रों के निर्वाचन सीट आरक्षित रहती हैं जिन पर सिर्फ इसी समुदाय के लोग चुनाव लड सकते हैं। 11/11/2022, 10:01 39/39 भारतीय चुनावों में वही इंसान मतदान कर सकता है जिसकी उम्र अठाराह वर्ष या उससे अधिक है। यदि कोई इंसान चुनाव लडना चाहता है तो उसे अपना नामांकन कराना होता है। भारत में कोई भी इंसान दो तरीकों से चुनाव लड सकता है किसी दल का प्रार्थी बनकर उसके चुनाव प्रतीक पर जिसे आम भाषा में टिकट के नाम से भी जाना जाता है और दूसरा तरीका है निर्दलीय प्रार्थी के तौर पर। सभी प्रार्थियों के लिए घोषणा पत्र भरना अनिवार्य कर दिया है। जिसमें प्रार्थियों को अपने खिलाफ चल रहे गंभीर आपराधिक मामलों व परिवार के लोगों का आर्थिक विवरण तथा अपनी शिक्षा की जानकारी देनी होती है। किसी भी लोकतांत्रिक देश में चुनाव और राजनीति एक दूसरे के पूरक का कार्य करते है और लोकतंत्र के सुचारू कार्य के लिए यह जरूरी भी है। लेकिन इसके साथ ही हमें इस बात का भी खयाल रखना चाहिए कि चुनावों के दौरान होने वाली प्रतियोगिता लोगों के बीच विवाद तथा बैर का कारण ना बनें और इसके साथ ही हमें चुनावी प्रक्रिया को और भी पारदर्शी बनाने की जरूरत है ताकि अधिक से अधिक साफ सुथरे तथा ईमानदार छवि के लोग राजनीति का भाग बन सके।
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