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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created Feb 16th, 06:33 by Jyotishrivatri


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अयोध्‍या में रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा के बाद देश भर में अलग तरह का भावमय माहौल बना है, इसमें संशय नहीं। इस माहौल के बीच बड़ा सवाल यह है कि आखिर हम अपने कार्य और व्‍यवहार में किस तरह का बदलाव लाएं जिससे यह महसूस किया जा सके कि इस पुनीत अनुष्‍ठान के बाद हमारी सोच, जीवन पद्धति और कार्यनिष्‍ठा में भी परिवर्तन हुआ है। जीवन के हर क्षेत्र में यह बदलाव इसलिए भी परिलक्षित होना चाहिए क्‍योंकि राम राज्‍य की परिकल्‍पना ही समतामूलक समाज के रूप में की जाती रही है। एक तरह से हर तरह का भेद समाप्‍त कर सबको अवसर देने वाला समाज। रामचरित मानस की इस चौपाई में भी यह भाव प्रकट होता है।  
राम राज्‍य में सामाजिक विषमता खत्‍म हो गई थी। वस्‍तुत: आज के दौर में भी राजकाज से जुड़े जनप्रतिनिधियो अधिकारियों कार्मिक से भी यही अपेक्षा की जाती है कि श्रीराम के जीवन चरित्र को अपने आचरण में उतारने का प्रयास करें। राजकाज के निस्‍तारण में समझदारी, समन्‍वय, संतुलन, संतुष्टि सहजता समयबद्धता रहना जरूरी है। जहां भय की आवश्‍यकता है, वहां उसका भी इस्‍तेमाल होना चाहिए। खुद प्रभु राम ने भी लंका पहुंचने के लिए रास्‍ता नहीं देने पर समुद्र को सबक सिखाने के लिए प्रत्‍यंचा चढ़ा ली थी। यह भी जरूरी है कि शासन तंत्र से जुड़े लोग अपने आसपास के लोगों से राय-मशविरा अवश्‍य करें। श्रीराम के सम्‍मुख भी समुद्र पार करने की चुनौती आई तो उन्‍होंने जामवंत, सुग्रीव आदि से मशविरा किया था।   

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