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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Feb 15th, 06:33 by sandhya shrivatri
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भारत विश्व का महानतम कार्यशील लोकतंत्र है। ऐसा न केवल इसके विशाल आकार, बल्कि इसके बहुलतावादी स्वरूप और समय की कसौटी पर खरा उतरने के कारण है। लोकतांत्रिक परंपराएं और सिद्धांत भारतीय सभ्यता की विरासत के अभिन्न अंग रहे है। हमारे समाज में समता, सहिष्णुता, शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और लोकतांत्रिक मूल्यों पर आधारित जीवन शैली जैसे गुण सदियों से विद्यमान रहे हैं। वास्तव में लोकतंत्र की जडें हमारी राजनीतिक चेतना में बहुत गहराई तक समाई हुई हैं। इसलिए हमारे देश में विभिन्न कालखण्डों में चाहे कोई भी शासन व्यवस्था रही हो, लेकिन आत्मा लोकतंत्र की ही रही। विदेशी दासता से मुक्ति का संघर्ष भी सत्य, अहिंसा और व्यापाक जनभागीदारी पर आधारित था। अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने आजाद और समृद्ध भारत का सपना देखा था, सामाजिक व आर्थिक न्याय पर आधारित समतामूलक समाज के निर्माण का सपना देखा था। इसके लिए उन्होंने कष्ट सहे और बलिदान दिया। एक लंबे संघर्ष के बाद हमें आजादी मिली। दुनिया के अनेक देशों ने आजादी पाई, परंतु भारत की आजादी दुनिया भर में मिसाल बनी। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद जब देश की आजादी के नायकों और हमारे मनीषियों ने देश के लिए संविधान की रचना की तब हमारे संविधान में स्वतंत्रता, समानता, बंधुता और न्याय के आधारभूत मूल्यों को सहज ही शामिल कर लिया गया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत जैसे विशाल व विविधतापूर्ण देश के लिए यह एक बड़ी चुनौती थी कि लोकतांत्रिक व्यवस्था को कायम रखते हुए कैसे देशवासियों के सामाजिक-आर्थिक जीवन में समृद्धि लाई जा सके। संविधान निर्माण के समय हमारे संविधान निर्माताओं क समक्ष तीन मुख्य उद्देश्य थे- राष्ट्र की एकता और स्थिरता को सुरक्षित रखना, व्यक्तियों की निजी स्वतंत्रता और कानून के शासन को सुनिश्चित करना तथा ऐसी संस्थाओं के विकास के लिए जमीन तैयार करना जो आर्थिक और समाजिक समानता के दायरे को और व्यापक बनाएं। हमारे संविधान निर्माताओं ने अपने अनुभव, ज्ञान, अपनी सोच तथा देश की जनता से जुड़ाव के चलते न केवल इन लक्ष्यों को सिद्ध किया बल्कि हमें एक ऐसा संविधान दिया जो अपने समय का सबसे प्रगतिशील एवं विकास उन्मुखी संविधान है। भारत विशाल एवं विविधतापूर्ण देश है। तेजी से संक्रमणकाल से गुजर रहे भारत के समक्ष नई-नई चुनौतियां प्रस्तुत हो रही है। पर हमारा संविधान हमें इन चुनौतियों से निपटाने की शक्ति देता है। साथ ही, इसमें देश की जनता की आशाओं और आकांक्षायों को पूरा करने का भी पर्याप्त सामर्थ्य है। यही कारण है कि यह संविधान आज भी हमारा सबसे बड़ा मार्गदर्शक है। यह देश में न सिर्फ कानून का शासन स्थापित करता है बल्कि यह केंद्र और राज्य सहित देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं को प्रदत्त शक्तियों का स्त्रोत भी है। भारत के संसदीय लोकतंत्र की सफलता भारत के संविधान की सुदृढ़ संरचना और इसके द्वारा निर्धारित संस्थागत ढांचे पर आधारित है। 26 नवंबर का दिन हमारे लिए इसलिए महत्वपूर्ण है कि वर्ष 1949 में इसी दिन हमारे देश की संविधान सभा ने 90 हजार शब्दों से तैयार किए गए संविधान को अपनाया था।
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