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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ सीपीसीटी,पीजीडीसीए,डीसीए, की सम्पूर्ण तैयारी करवायी जाती है।
created Feb 9th, 10:09 by neetu bhannare
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एक कवि ने कहा था मित्र दो प्रकार के होते हैं। पहला होम्योपैथी जो मुसीबत के समय में काम नहीं आते हैं तो इंसान को किसी प्रकार का नुकसान भी नहीं पहुंचाते हैं। दूसरा ऐलोपैथी यह छोटी मोटी मुसीबत पर काम तो आते हैं पर बडी मुसीबत का कुछ तय रूप से कह नहीं सकते। जो भी हो यह बस मजाक का विषय है। इंसान जो परेशानी अपने परिवार के साथ भी बांट नहीं पाता वह मित्रता में मित्रों को बडे आराम से बता देता है। जिसके साथ हम जीवन के उमंग व हर्ष तथा खुशी व शोक को बिना किसी तोड मरोड के साथ बांट सके वहीं इंसान का असली मित्र है। मित्र हमें हर बुरे कार्य से बचाता है तथा जीवन की हर कठिनाई में हमारे साथ रहता है। मित्रता जीवन में कई बार हो सकती है तथा किसी भी इंसान से हो सकती है इसमे चिंता तथा अनुराग की भावना होती है। एक बेंच पर बैठ कर उस बेंच पर अपना नाम लिखना हम मित्रों के साथ ही करते है। कापी के बीच पेंसिल के छिलके व मोरपंख रखना यह कह कर कि ये दो हो जायेंगे। बिना किसी बात के शिक्षक के कक्षा लेने के दौरान मुंह पर हाथ रख हंसना और सजा मिलने पर भी कोई खास फर्क नहीं पडना सच में यह सबसे सुखद समय होता है। बचपन की मित्रता हमेशा मीठी याद बन कर हमारे साथ रहती है। कैंटीन के वो चाय समोसे व बाईक पर ट्रिपलिंग तथा मित्र के पिट जाने पर कारण को बिना जाने लडाई में शामिल हो जाना। कक्षा बंक मार कर बाहर किसी बगीचे में बैठे रहना व परीक्षा के बिलकुल करीब आ जाने पर रात भर काल पर पढाई करना और बीच बीच में प्रिय का जिक्र मित्रता की निशानी है। यह जीवन के उस आनंद भरे पलों में से है जिसे हम कभी भूल नहीं सकते हैं। आफिस के मित्रों के बीच प्रतियोगिता का होना हमें और मेहनती बनाता है। इसके साथ ही काम के दबाव के बीच किसी एक बेतुके से जोक पर हंसना व लंच टाईम में घर की वो सांस बहु की बातें व श्रीमती वर्मा के किसी काम के न हो पाने की बात या बास से पडी डाट पर मित्रों का समझाना। आज के समय में सोशल मीडिया की मित्रता का बहुत अधिक प्रचलन है। देश के कोने कोने तक हमारे मित्र फैले होते हैं। जिनसे कभी मिलना तो नहीं हो पाता पर हम अपनी परेशानियां उनके साथ बांटते हैं। कहा गया है बुढापे में इंसान को मित्रों की जरूरत होती है। जिनके साथ वह अपना सुख दुख बांट सके। सुबह सुबह बगीचे में एक साथ लाफटर योगा तथा आसन करना साथ टहलना व चाय के साथ कालनी के लोगों की बाते या शाम में किसी दुकान पर अपने पुराने मित्रों के साथ ढेर सारी पुरानी बाते जीवन के तनाव को कम कर देती हैं। उम्र के हर पढाव पर इंसान के जीवन में मित्रों की अलग अहमियत होती है। कभी साथ कक्षा बंक करने का तो कभी आफिस के मित्रों के साथ मूवीं देखना तो कभी कालोनी के किसी छत पर सूख रहे आचार व आम तथा पापड पर अपना ही हक समझना व चाय के साथ गप शप हो या किसी की मुसीबत की घडी में साथ खडे रहना। मित्र हमेशा एक भावनामय सहायता तथा सुरक्षा प्रदान करते हैं।
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