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बंसोड कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट छिन्‍दवाड़ा म0प्र0

created Dec 6th 2023, 09:29 by shilpa ghorke


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सभापति महोदय, मैं आज विश्‍व विद्यालय अनुदान आयोग को उसके कार्यो के लिए दिल से बधाई देता हूँ। उसके अध्‍यक्ष एक प्रसिद्ध विद्वान हैं और शिक्षा के क्षेत्र में उनका बेहत योगदान रहा है। अनुदान आयोग के जो मंत्री हैं उन्‍होंने विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग के माध्‍यम से शिक्षा की बड़ी सेवा की है। मुझे वहॉं के कार्यकर्ताओं से यह कहना है कि कुछ क्षेत्रों में विश्‍व विद्यालय अनुदान आयोग के नाम को एक कलंक लग रहा है और वह है पक्षपात का कलंक। ऐसा पता चला है कि वहॉं के कुछ कार्यकर्ता विश्‍वविद्यालयों में प्रकाशक होते हैं और कहा तो यह भी जाता है कि वे उन विश्‍वविद्यालयों या उन कालेजों का अधिक पक्षपात करते हैं जहॉं वे प्रकाशक होते हैं। मैं समझता हूँ कि ऐसी बात बिल्‍कुल भी नहीं होगी, परंतु यदि ऐसा है तो उन्‍हें प्रकाशक का पद स्‍वीकार करना चाहिए ताकि उनके ऊपर पक्षपात करने का आरोप लग सके। मंत्री महोदय इसके बारे में पता लगा लें कि वे प्रकाशक होते हैं या नहीं। यदि वे प्रकाशक होते हैं तो मेरा यह निवेदन है कि अनुदान आयोग के लोगों को परीक्षक नहीं होना चाहिए। विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग ने बहुत दिनों तक शिक्षा की बहुत सेवा की है और ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में बहुत ही अधिक शोध के कार्य करवाये हैं। उनमें से बहुत से कार्य प्रसंशनीय रहे हैं, लेकिन विश्‍वविद्यालयों में अगर जाऍं तो ऐसा लगता है कि उनके प्रकाशन की कोई अच्‍छी व्‍यवस्‍था नहीं है। जरूरत इस बात की है कि ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में भी विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग का सहयोग लिया जाए सभी विश्‍वविद्यालयों में प्रकाशन की बहुत अच्‍छी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए। शोध के संबंध में कहना चाहता हूँ कि जहॉं तक शोध का सवाल है उसका स्‍तर लगातार गिर रहा है और अब तो शोध का विषय भी नहीं मिल रहा है। कभी-कभी तो ऐसा देखने को मिला है कि हिन्‍दी में एक ही विषय पर एक ही दृष्टिकोण से समान स्‍तर का शोध हुआ था जो विद्यार्थियों के लिए बिल्‍कुल भी उपयोगी नहीं होता, इसलिए मंत्री महोदय से मेरा यह निवेदन है कि इस बात का विशेष ध्‍यान रखा जाए। तभी शिक्षा की उन्‍नति हो सकेगी।  

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