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टाइपिंग क्लास हिन्दी मॉक टेस्ट नं. 10। सीपीसीटी व अन्य परीक्षा की तैयारी के लिए टेलीग्राम ग्रुप टाइपिंग क्लास से जुडें।
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भारत में छह ऋतुएं पाई जाती हैं जिनके नाम गर्मी व वर्षा व शरद व हेमंत तथा शिशिर और वसंत हैं। इनमें वसंत को ऋतुराज और वर्षा को ऋतुओं की रानी कहा जाता है। यदि मैं सच कहूं तो वर्षा ही वह ऋतु है जिसका लोग सर्वाधिक आतुरता से इंतजार किया करते हैं । कुछ समय पूर्व तक भारतीय कृषि को मानसून का जुआ कहा जाता था। ऐसा इसलिए कहा जाता था कि भारतीय कृषि पूरी तरह से वर्षा पर निर्भर होती थी तथा गर्मी के मारे पशु व पक्षी तथा इंसान सभी बेहाल हो जाते हैा छोटे छोटे वृक्ष व पौधे सूख जाते थे। धरती गर्म तवे सी तपने लगती थी। ऐसे में सभी बहुत आतुरता से वर्षा का इंतजार करते लगते थे। मुझे याद है कि आषाढ माह के पंद्रह दिन यूं ही तपते तपते बीत जाते थे और इस समय गर्मी अपने चरम पर होती थी। ऐसे में सभी को बेसब्री से वर्षा का इंतजार रहता था परंतु बादल मानो रूठे से रहते थे। बालक तो कई बार टोली बनाकर जमीन पर लेट लेटकर गाने लगते कि काले मेघा पानी दे पानी दे गुडधानी दे। इस तरह गा गा कर बालक बादलों को बुलाते थे पर सब बेकार साबित होता था। फिर एक दिन कुछ यूं हुआ कि दोपहर का समय था व अचानक बादलों के कुछ टुकड़ों ने पहले तो सूरज को ढक लिया और फिर वे बादल पूरे आसमान में छा गए। देखते ही देखते हवा में शीतलता का एहसास होने लगा। दिन में ही शाम होने का एहसास होने लगा। अचानक बिजली चमकी और बादलों ने अपने आने की सूचना मानो सभी को दे दी और आसमान से शीतल बूंदें गिरने लगीं। फिर धीरे धीरे ये बूंदें घनी और बडी होने लगीं तथा धीरे धीरे बूंदों की एक झडी सी लग गई। फिर हवा के एक दो तेज झोंके आए और तेज वर्षा शुरू हो गई।
