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High Court ki Taiyari

created Jan 19th 2023, 19:27 by 1998Raunak


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संविधान में उच्‍च न्‍यायालयों द्वारा दिए गए फिटनेस के प्रमाण पत्र पर सर्वोच्‍च न्‍यायालय में अपील करने का प्रावधान है साथ ही संविधान के अनुच्‍छेद 136 के तहत इसे विशेष छूट देकर उच्‍चतम न्‍यायालय में अपील करने का प्रावधान है लेकिन विशेष अवकाश द्वारा अपील केवल तभी दायर की जा सकती है जब अपील दायर करने के लिए प्रमाणपत्र को उच्‍च न्‍यायालय द्वारा अस्‍वीकार कर दिया गया हो भारतीय दंड संहिता 1860 के तहत एक अभियुक्‍त का संरक्षण पुलिस हिरासत में अभियुक्‍तों के अधिकारों की निगरानी बहुत आवश्‍यक है। सरकारी अधिकारियों को इस तथ्‍य के बारे में पता नहीं है कि यह एक गंभीर अपराध है और इस पर तत्‍काल ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है। अगर अत्‍याचार होता है, तो वह भारतीय दंड संहिता के तहत एक अपराध है। अपराध और हिरासत में मृत्‍यु अपराध है।  इन वर्गो की संपत्ति सिद्धांत वस्‍तु पुलिस द्वारा यातना को रोकने के लिए है। एक पुलिस अधिकारी कानूनी कर्तव्‍य के तहत उन लोगों पर अत्‍याचार के निहितार्थ को रोकने के लिए है जो उसकी हिरासत में है और उस कर्तव्‍य का निर्वहन करने में उसकी विफलता उसे अपराध के लिए पार्टी बनाती है जैसे ही चोट या कबूलनामा या कोई अन्‍य जानकारी बल के माध्‍यम से निकाली जाती है, जब कोई व्‍यक्ति हिरासत में होता है तो अपराध पूरा हो जाता है धारा 330 के तहत सजा या तो एक शब्‍द के लिए विवरण के कारावास के साथ है जो सात साल तक का हो सकता है और जुर्माना के लिए उत्‍तरदायी होगा। धारा 331 के तहत अपराध दस साल की कैद और जुर्माना के लिए उत्‍तरदायी होगा। धारा 331 के तहत अपराध दस साल की कैद और जुर्माने के साथ दंडनीय है। धारा 330 विशेष रूप से अपने दृष्‍टांतों (ए) और (बी) में कहती है कि यदि कोई पुलिस अधिकारी  किसी को यह मानने के लिए प्रेरित करने के लिए प्रताडि़त करता है कि उसने कोई अपराध किया है या उसे यह संकेत लेने के लिए प्रेरित किया है कि कुछ चुराई गई संपत्ति कहां जमा है, तो पुलिस अधिकारी इस धारा के तहत अपराध का दोषी है। अपनी हिरासत में व्‍यक्तियों का अ‍त्‍याचार करके पुलिस अधिकारी भी स्‍वेच्‍छा से खतरनाक हथियार से चोट पहॅुचाने के अपराध करता है यानि धारा 324 के तहत: धारा 302 के तहत हत्‍या धारा 349 के तहत बल,धारा 350 के तहत अपराधिक बल, धारा 351‍ के तहत हमला,धारा 375 के त‍हत बलात्‍कार पुलिस अधिकारी किसी भी अधिनियत या चुक और कमीशन के लिए कानून के तहत उतरदायी है।  
 

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