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High Court ki Taiyari

created Jan 19th 2023, 19:27 by 1998Raunak


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अनुच्‍छेद 132 के अनुसार उच्‍च न्‍यायालय के किसी निर्णय, डिक्री या अंतिम आदेश के संबंध में, जो दीवानी, फौजदारी या अन्‍य कार्यवाहियों से संबंधित हो, अपील उच्‍चतम न्‍यायालय में की जाएगी। उच्‍च न्‍यायालय यह सत्‍यापित कर सकता है कि विधादित मामला संविधान की व्‍याख्‍या से संबंधित किसी सारभूत प्रश्‍न को समाविष्‍ट करता है। जब कोई उच्‍च न्‍यायालय इस आशय का प्रमाण पत्र देने से इंकार कर दे तो अच्‍चतम न्‍यायालय अपीलीर्थी को अपील की विशेष अनुमति दे सकता है यदि वह संतुष्‍ट हो जाय कि विचारित मामले में कोई सारभूत प्रश्‍न समाविष्‍ट है। जहां ऐसा प्रमाण पत्र उच्‍च न्‍यायालय द्वारा दिया जाता है या उच्‍चतम न्‍यायालय अनुमति प्रदान करता है, कोई भी पक्ष उक्‍त निर्णय के विरोध में उच्‍च न्‍यायालय में अपील कर सकता है।  दीवानी मामलों में सुप्रीम कोर्ट में की गयी अपील अनुच्‍छेद 133 के अंतर्गत होगी जो उच्‍च न्‍यायालय के निर्णय, डिक्री या अंतिम आदेश के विरूद्ध होगी। इसके अतिरिक्‍त अनुच्‍छेद 136 के अंतर्गत विशेष अनुमति से तथा अनुच्‍छेद 132 के अंतर्गत संवैधानिक आधार पर भी ऐसी अपीलें दायर होंगी। अपील हेतु उच्‍च न्‍यायालय को यह प्रमाणित करना होगा कि विचारित मामले में सामान्‍य महत्‍व का  कोई सारभूत विधिक प्रशन निहित है तथा उच्‍च न्‍यायालय की राय में उस प्रश्‍न का निर्णय उच्‍चतम न्‍यायालय द्वारा होना चाहिए। वादों के मूल्‍यांकन के आधार पर उच्‍चतम न्‍यायालय में अपील के अधिकार को संविधान (30वां संशोधन) अधिनि‍यम 1972 द्वारा विलुप्‍त कर दिया गया है। फौजदारी मामलों में सुप्रीम कोर्ट में तभी अपील हो सकती है जब (अ) उच्‍च न्‍यायालय ने अपील के बाद किसी अभियुक्‍त की दोष मुक्ति के आदेश को उलट दिया है तथा उसे मृत्‍यु दंड दे दिया है। (ब) उच्‍च न्‍यायालय ने किसी मामले को अधीनस्‍थ न्‍यायालय से अपने पास विचारण हेतु मंगा लिया है और अभियुक्‍त को दोषी पाकर उसे मृत्‍यु दे दिया है। (स) उच्‍च न्‍यायालय यह प्रमाणित कर देता है कि निर्णात मामला उच्‍चतम न्‍यायालय में अपील के लिए उपयुक्‍त है। भारत के संविधान नेे उच्‍च न्‍यायालयों को न्‍यायिक, कनिष्‍ठ न्‍यायालयों द्वारा न्‍याय के सघन, अन्‍याय होने की विधि की सीमाओं के अंतर्गत ही कार्य करें, महत्‍वपूर्ण और प्रभावशाली शक्तियां प्रदान की है। इस प्रकार आधुनिक न्‍याय-व्‍यवस्‍था में उच्‍च न्‍यायालय को सम्‍मानपूर्ण गरिमामय एवं अधिकारितायुक्‍त उच्‍च स्थिति प्राप्‍त है।  
 

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