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High Court ki Taiyari

created Jan 19th 2023, 19:25 by 1998Raunak


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त्‍येक उच्‍च न्‍यायालय को उसकी अपीली अधिकारिता से संबद्ध सभी न्‍यायालयें के अधीक्षण की शक्ति दी गयी हैं। (अनुच्‍छेद 227) अपनी अधीक्षण शक्ति के अंतर्गत उच्‍च न्‍यायालय ऐसे न्‍यायालयों से विवरणियॉं मंगा सकता है, सामान्‍य नियम बना कर जारी कर सकता है, ऐसे न्‍यायालयों के चलन और कार्यवाहियों को नियमित करने की विधाएं निर्धारित कर सकता है तथा ऐसे तरीके निर्धारित कर सकता है जिनसे पुस्‍तकों प्रतिष्टियों और खातों को दुरूस्‍त रखा जाए। मूल संविधान में अनुच्‍छेद 227 इस प्रकार से निर्मित किया गया था जिससे उच्‍च न्‍यायालय अपनी अधीक्षण अधिकारिता का प्रयोग केवल अपने क्षेत्र में आने वाले ये सभी अधीनस्‍थ संस्‍थाएं इन्‍हें प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग अपने प्राधिकार की सीमा के भीतर तथा विविध तरीके से करें। अनुच्‍छेद 228 उच्‍च न्‍यायालय को यह शक्ति देता है कि वह अ‍धीनस्‍थ न्‍यायालयों में विचाराधीन किसी मामले को अपने पास मँगा सकता है जब वह संतुष्‍ट हो जाये कि उक्‍त मामला संविधान की व्‍याख्‍या से संबंधित किसी सारभूत विधिक प्रश्‍न को समाहित किये हुए है। तत्‍पश्‍चात उच्‍च न्‍यायालय ऐसे मामले का स्‍वयं निबटारा कर सकता है या विधिक प्रश्‍न को निर्णीत करने के उपरांत इसे पुन: पूर्व न्‍यायालय को लौटा सकता है जिससे वहॉं न्‍यायालय के निर्णय के अनुरूप मामले का निबटारा हो सके। अनुच्‍छेद 229 में उच्‍च न्‍यायालयो के अधिकारियों और सेवकों की नियुक्ति संबंधी प्रावधान है। ऐसी नियुक्तियों के बारे में मुख्‍य न्‍यायाधीश को विस्‍तृत शक्तियां दी गयी हैं। इस अनुच्‍छेद का उद्देश्‍य उच्‍च न्‍यायालय को अपने कर्मचारी वर्ग पर पूर्ण नियंत्रण प्रदान करना है जिसका सीमा-निर्धारण केवल स्‍वयं उक्‍त अनुच्‍छेद द्वारा ही किया गया है ताकि न्‍यायापालिका की स्‍वतंत्रता तथा सरकारी हस्‍तक्षेप से इसका मुक्‍त रहना सुनिश्चित हो सके। उक्‍त अनुच्‍छेद का परंतुक मुख्‍य न्‍यायाधीश की उच्‍च न्‍यायालय के अधिकारियों और सेवकों की नियुक्ति संबंधी शक्ति को सीमित करता है। साधारणत: उसे इन नियुक्तियों के संबंध में लोक सेवा आयोग से परामर्श करने की आवश्‍यकता नहीं होती है, लेकिन यदि राज्‍यपाल किन्‍ही मामलों को विनिर्दिष्‍ट करते हुए कोई नियम बना दे तो मुख्‍य न्‍यायाधीश को इन विनिर्दिष्‍ट पदों पर नियुक्तियां करने से पहले लोक सेवा आयोग से परामर्श करना पड़ेगा। तथापि किसी पद विशेष के सजृन के विषय में वित्तीय सहमति देते समय राज्‍यपाल पदधारकों को चयनित और नियुक्‍त करने की मुख्‍य न्‍यायाधीश की शक्ति पर कोई प्रतिबंध नहीं लगा सकता हैं।  
 

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