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बंसोड क्‍म्‍प्‍यूटर टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ (CPCT, DCA, PGDCA & TALLY)

created Jan 19th 2023, 12:20 by shilpa ghorke


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सहकारी आंदोलन का आधार लोगों को सामूहिक क्रिया द्वारा विशेष रूप से वंचितों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए विभिन्‍न उद्देश्‍यों और गतिविधियों के साथ विभिन्‍न सहकारी समितियों का गठन करने में सक्षम बनाना है। वित्‍तीय व्‍यवहार्यता समाज के निर्वाह के लिए आवश्‍यक कारक है, अन्‍यथा, समाजों के गठन का कोई उद्देश्‍य नहं है। सहकारी समितियां अन्‍य प्रकार के समाजों या संघों के समान नहीं हैं, जो सार्वजनिक सोसायटी पंजीकरण अधिनियम या अन्‍य अधिनियमों के तहत पंजीकृत हैं। सहकारिता आंदोलन की एक विशेष विशेषता है जिसका विशिष्‍ट उद्देश्‍य लोगों के एक समूह को संगठित होकर आर्थिक उत्‍थान के लिए कार्य करना है, जो राज्‍य/देश के विकास के लिए सबसे महत्‍वपूर्णा कारक है। सहकारी समितियों की स्‍थापना और विकास के लिए सरकार द्वारा भारी योगदान दिया गया है, चाहे वह धन का अनुदान हो या भारतीय रिजर्व बैंक सहित बैंकों जैसे वि‍त्‍तीय संस्‍थानों से ऋण के माध्‍यम से उठाए गए धन के भुगतान के लिए काउंटर गारंटी सहकारी समितियों के कामकाज पर सरकार का प्रभावी नियंत्रण है और अधिनियम में निहित कई प्रावधान यह स्‍पष्‍ट करते हैं कि एक समाज को तब तक पंजीकृत नहीं किया जा सकता जब तक कि कानूनी औपचारिकताओं का पालन नहीं किया जाता है और यह लेखा परीक्षा और लेखा निरक्षण, जांच और जांच के अधीन है। वैधानिक प्रावधानों और अधिकारियों द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने की स्थिति में अधिक्रमण या अधिनियम सहकारी समितियों के रजिस्‍टर को सहकारी समितियों के बेहतर प्रशासन के लिए समय-समय पर निर्देश जारी करने की शक्ति प्रदान करता है और कुल-मिलाकर सरकार के पास पर्यवेक्षी शक्तियां है और निर्देश जारी करने की हकदार है। रजिस्‍ट्रार की शक्ति अधिनियम की धारा 181 में और सरकार की शक्ति अधिनियम की धारा 182 में निहित है। निर्वाचित कर्मियों या प्रभावी अधिकारी द्वारा कर्तव्‍यों की अव्‍हेलना के मामले में अधिभार लगाने और धन की वसूली के लिए उचित कार्यवाही करने की शक्ति है। वास्‍तव में, सहकारी समितियों के रजिस्‍ट्रार से लेकर सहकारी समितियों के प्रबंधन पर नियंत्रण के संबंध में सहकारी समितियों के निचले पायदान तक, सरकार और उसके अधीनस्‍थों की शक्तियों के संबंध में कोई विवाद नहीं है। इस प्रकार सरकार ने दिनांक 08.07.1980 तक रोजगार कार्यालयों से अभ्‍यि‍ को अर्हत करने की चूक को माफ कर दिया है। सरकार ने सहानुभूति दिखायी और  समय-समय पर विभिन्‍न कट-आफ तारीखों को तय करते हुए और कई सरकारी आदेशों द्वारा इसे बढ़ाते हुए चूक को माफ करती रही। सबसे पहले, यह जिओ.एमएस.नबर 790 दिनांक 05.07.1971 था जिसके लिए कटऑफ तिथि तय की गई थी।

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