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High Court ki Taiyari

created Jan 17th 2023, 08:52 by 1998Raunak


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तीनों अपीलों में निर्णय के लिए कानून का एक सामान्‍य प्रश्‍न उठता है। किसी एक मामले के तथ्‍यों को बताने के लिए पृष्‍ठभूमि की घटनाओं की एक झलक देखने के लिए पर्याप्‍त होगा जिसमें निर्णय के लिए प्रश्‍न उभरा है। एसएलपी (सी) संख्या 6098/2002 से उत्‍पन्‍न सिविल अपील संख्‍या 1860/2003 में अपीलकर्ता ने 10.5.2001 को आयोजित 'असम के 5 बदरपुर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र' से विधानसभा का पिछला चुनाव लड़ा था। अपीलार्थी को विधिवत निर्वाचित घोषित किया गया। 27.06.2001 को चुनाव लड़ने वाले प्रतिवादी ने जन प्रतिनिधित्‍व अधिनियम, 1951 (इसके बाद आरपीए, संक्षेप में) की धारा 80/81 के तहत एक चुनाव याचिका दायर की, जिसमें अपीलकर्ता के चुनाव को चुनौती दी गई। चुनाव याचिका असम के उच्‍च न्‍यायालय के स्‍टाम्‍प रिपोर्टर सह-शपथ आयुक्‍त के समक्ष प्रस्‍तुत की गई थी। स्‍टाम्‍प रिपोर्टर ने चुनाव याचिका प्राप्‍त की, उसकी प्रारंभिक जांच की, और अपने नोट के साथ उसे नामित चुनाव न्‍यायाधीश के समक्ष रखा। अपीलकर्ता प्रतिवादी ने उच्‍च न्‍यायालय के समक्ष) नोटिस किए जाने पर और चुनाव याचिका की एक प्रति के साथ तामील किए जाने पर, याचिका की धारणीयता पर प्रारंभिक आपत्ति उठाते हुए एक आवेदन दायर किया, जिसमें अधिनियम की धारा 86 के तहत गैर- अधिनियम की धारा 81 का अनुपालन। अपीलकर्ता द्वारा उठाई गई याचिका का सार यह है कि चुनाव याचिका या तो नामित चुनाव न्‍यायाधीश या उच्‍च न्‍यायालय के मुख्‍य न्‍यायाधीश के समक्ष प्रस्‍तुत की चाहिए थी; और यह कि स्‍टाम्‍प रिपोर्टर के समक्ष प्रस्‍तुतीकरण अधिनियम की धारा 81 के तहत अमान्‍य अतः याचिका बिना विचारण के खारिज किये जाने योग्‍य है। विद्वान मनोनीत निर्वाचन न्यायाधीश ने अपीलार्थी की आपत्ति को खारिज करते हुए कहा कि निर्वाचन याचिका उचित रूप से प्रस्‍तुत की गई थी। इस मत का निर्माण करते हुए विद्वान मनोनीत निर्वाचन न्‍यायाधीश ने उच्‍च न्‍यायालय के नियमों के अध्‍याय 8ए पर भरोसा किया है, जिसे इसके बाद उपयुक्‍त स्थान पर देखा जाएगा। अन्‍य दो अपीलों में तथ्‍य समान हैं और यह बताना पर्याप्‍त होगा कि इसी तरह की आपत्तियां जो उच्‍च न्‍यायालय (हमारे सामने अपीलकर्ता) में प्रतिवादियों द्वारा संबंधित चुनाव याचिकाओं की प्रस्‍तुति की वैधता पर विवाद करती थीं, जो पहले प्रस्‍तुत की गई थीं स्‍टाम्‍प रिपोर्टर को खारिज कर दिया गया है। हमने दोनों पक्षों के विद्वान वरिष्‍ठ अधिवक्‍ताओं के नेतृत्‍व में पक्षकारों के विद्वान अधिवक्‍ता को सुना है। हम संतुष्‍ट हैं कि इन अपीलों में कोई दम नहीं है और ये खारिज किए जाने योग्य हैं।
 

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