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created Jan 17th 2023, 06:12 by neetu bhannare
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मैं यह राय व्यक्त करता हूं कि विद्वान अपर सेशन न्यायाधीश द्वारा प्रतिरक्षा साक्षी के कथन पर अविश्वास करके अभिलिखित किए गए कारण पूर्णतया सत्य प्रतीत होते हैं और किसी भी प्रकार अभिलेख पर उपलब्ध साक्ष्य के प्रतिकूल नहीं हैं। उपरोक्त चर्चाओं के कारणों को दृष्टिगत करते हुए मेरा यह मत है कि विद्वान अपर सेशन न्यायाधीश ने आहत के कथन तथा चिकित्सा साक्ष्य पर विश्वास करके ठीक ही किया है। विद्वान न्याय मित्र ने यह दलील दी है कि अभियोजन साक्षी अर्थात् चिकित्सा साक्षी ने अभियोक्त्री को कारित क्षति संख्या एक का अवलोकन करते हुए उसके एक्स-रे की सलाह दी थी और आहत को सर्जन के पास विशेष चिकित्सा और चिकित्सीय राय हेतु भेजा था किंतु विद्वान के द्वारा एक्स-रे रिपोर्ट और सर्जन की राय यह प्रकट करने के लिए पेश नहीं की गई थी कि क्षति संख्या एक जीवन के लिए खतरनाक थी या इससे कोई आंतरिक नुकसान पहुंचा था। भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के अधीन कोई अपराध नहीं बनता है। इस संबंध में विद्वान अपर सरकारी अभिभाषक ने यह दलील दी है कि आहत ने विचारण के दौरान यह स्वीकार किया है कि वह लगभग 15-20 दिनों से चिकित्सालय में भर्ती रहा और लगभग 9 दिन बेहोश रहा था। क्षति संख्या एक महत्वपूर्ण भाग पर थी अर्थात् आहत के सिर में मार्मिक स्थल पर कारित की गई थी जो प्राणघातक सिद्ध हो जाती यदि समय पर उसका इलाज नहीं होता। इसके उत्तर में विद्वान न्याय मित्र ने यह दलील दी कि यदि क्षतियां किसी महत्वपूर्ण अर्थात् मार्मिक भाग पर कारित नहीं हुई थीं तो प्राणघातक कैसे हो सकती हैं और आहत को जब प्राणघातक क्षति कारित नहीं की गई है तो न्यायाधीश के द्वारा अभियुक्त के विरुद्ध हत्या या हत्या का प्रयास किए जाने से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 307 का आरोप भी अधिरोपित नहीं किया जा सकता है। बचाव पक्ष के विद्वान अधिवक्ता ने अंतिम तर्क में यह स्पष्ट किया कि अभियुक्त को कारित चोटें भी प्राणघातक थीं अर्थात् दोनों पक्षों के मध्य झगड़ा हुआ और दोनों ने एक-दूसरे को चोटें पहुंचाईं जो चोटें प्राणघातक और गंभीर थीं। उसका इलाज चिकित्सालय में संबंधित चिकित्सक के द्वारा किया गया है, लेकिन बचाव पक्ष ने अंतिम तर्क में यह भी बचाव लिया कि संबंधित चिकित्सा अधिकारी अर्थात् इलाज करने वाले चिकित्सीय साक्षी को अभियोजन पक्ष के द्वारा साक्ष्य के लिए प्रस्तुत नहीं किया गया है मात्र उसके द्वारा जारी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी गई है।
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