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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565
created Nov 28th 2022, 12:34 by rajni shrivatri
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मध्यप्रदेश में जल-जंगल और जमीन का अधिकार अब पूरी तरह ग्राम सभा को दिया गया है। लेकिन हालात में पूरी तरह सुधार के लिए पूरे तंत्र व प्रक्रिया में निगरानी व्यवस्था बहाल करने की अत्यधिक जरूरत है। ग्राम सभा के पास पहले भी कई तरह के अधिकार थे। पेसा एक्ट तहत अब इन अधिकारों को और मजबूत किया गया है। पेसा एक्ट में लोक स्वास्थ्य, शिक्षा व सार्वजनिक वितरण प्रणाली में ग्राम सभा की भूमिका रहेगी। कानून-व्यवस्था बनाने का अधिकार, राजस्व अधिकार, भूमि, वनोपज, खदानों के लेन देन व अनुमति जैसे अनगिनत अधिकार पेसा एक्ट के माध्यम से ग्राम सभाओं को मिले है। ऐसे में अब इस पर विचार की जरूरत है कि कैसे पंचायतों की आय बढ़ा सकते है, इसलिए कि प्रशासनिक ढांचा तो वही है। संसाधन भी पहले ही तरह है। अब तक देखने में आया हैं कि अधिकतर ग्राम पंचायतों के संचालन में भले ही पदाधिकारी जनप्रतिनिधि आदिवासी वर्ग से हो, लेकिन कमान प्रभावशाली और रसूखदार लोगों के पास ही रही है। बाद में ग्राम सभा के माध्यम से अवैध कार्यो को बदलने का काम चलता है। इन सबको रोकने के लिए निगरानी भी बढ़ानी होगी ताकि आदिवासी क्षेत्रों की पंचायतों के लिए प्रदेश सरकार द्वारा लाया गया कानून ग्रामीणों के हित में साबित हो और ग्राम विकास को भी नई ऊंचाई मिले। चूंकि पंचायती राज व्यवस्था इसी उद्देश्य को लेकर बनाई गई थी, लेकिन कहीं न कहीं इसमें भटकाव की स्थिति है। नए कानून से आदिवासी क्षेत्रों की पंचायतों में कैसे हालत सुधरेगी, कैसे लाभ मिलेगा इस पर मंथन की जरूरत है। सिर्फ प्रावधान लागू कर देने से व्यवस्था में बदलाव नहीं आएगा। इसके अलावा यह इसलिए भी जरूरी होगा कि आदिवासियों के नाम पर फिर से लूट खसोट की स्थिति न बनने पाए। आदिवासी क्षेत्रों में आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासियों को नहीं बचने का नियम है। पेसा में भी इसे जोड़ा गया है। बावजूद आदिवासी क्षेत्रों में बड़े स्तर पर इनकी भूमि का सौदा हो रहा है।
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