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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ (CPCT, DCA, PGDCA & TALLY)
created Nov 27th 2022, 04:11 by Vikram Thakre
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आरोपी की ओर से शीघ्र सुनवाई आवेदन पेश कर इस आशय का निवेदन किया गया कि वह संपूर्ण बकाया राशि मय समन शीघ्र जमा कराना चाहता है। अत: प्रकरण सुनवाई में लिया जाये। आरोपी के विरुद्ध 2 हजार रुपये क्षतिपूर्ति के संबंध में परिवार संबंधी धारा 135/138 विद्युत अधिनियम प्रस्तुत किया गया है। जमा राशि की रसीद की फोटो प्रति भी पेश की गई है। परिवादी कंपनी की ओर से अधिवक्ता द्वारा निवेदन किया गया कि प्रकरण में संपूर्ण बकाया राशि एवं समस्त शुल्क की राशि जमा हो चुकी है। इस प्रकार आरोपी द्वारा मामले में संपूर्ण राशि जमा कर दी गई है। परिवादी के अधिवक्ता भी मामले को राशि जमा होने के आधार पर आगे नहीं चलाना चाहते है। अत: अधिनियम की धारा 152 के प्रावधान अनुसार आरोपी द्वारा क्षतिपूर्ति राशि एवं कंपाउंडिंग फीस जमा करवा दी गई है। विद्युत अधिनियम की धारा 152 के प्रावधान अनुसार आरोपी द्वारा क्षतिपूर्ति व समन राशि जमा कराये जाने अर्थात् परिवादी कंपनी द्वारा धनराशि ग्रहण किये जाने के प्रभाव से आरोपी को मामले में समझौता राजीनामा के प्रभाव के कारण दोषमुक्त किये जाने का प्रावधान है। परिणामत: आरोपी को विद्युत अधिनियम की धारा 135/138 के अभियोग से दोषमुक्त किया जाता है।
हमारे देश के युवा लोग नशाखोरी की प्रवृत्ति में लिप्त हो रहे है। इंटरनेट तथा सिनेमा के कारण तेजी से अपसंस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है। नैतिक मूल्यों के पतन के इस दौर में भारत को अपनी पहचान बनाये रखने की आवश्यकता है। देश में जहां लोग अपने देश की संस्कृति को अपनाने से दूरी अपना रहे है। वहीं विदेशों में भारत तथा भारतीय संस्कृति को सम्मान मिल रहा है। योग का विश्व भर में बढ़ती स्वीकारोक्ति प्रगतिशील भारत की बढ़ती निशानी है। आधुनिक भारत में कई ऐसे क्षेत्र है जहां आधुनिकता के नाम पर देश की संस्कृति के साथ खिलवाड़ हो रहा है। समय रहते समाज को फिर से सावधान होने की जरूरत है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 360 के प्रावधाननुसार व्यपहरण अर्थात भारत में व्यपहरण को परिभाषित किया गया है जिसमें कोई व्यक्ति उस व्यक्ति की अथवा उस व्यक्ति की ओर से सम्मति देने के लिए वैध रूप से प्राधिकृत किसी व्यक्ति के सम्मति के बिना भारत की सीमाओं से व्यपहरण कर देता है तो वह उस व्यक्ति का व्यपहरण करता है। इसी तरह धारा 362 भारतीय दंड संहिता के प्रावधानुनासार अपहरण को परिभाषित किया गया है जिसमें कोई किसी व्यक्ति को किसी स्थान से जाने के लिए बल द्वारा विवश करता है या किन्हीं प्रवंचनापूर्ण उपायों द्वारा उत्प्रेरित करता है तब वह उस व्यक्ति का अपहरण करता है।
हमारे देश के युवा लोग नशाखोरी की प्रवृत्ति में लिप्त हो रहे है। इंटरनेट तथा सिनेमा के कारण तेजी से अपसंस्कृति को बढ़ावा मिल रहा है। नैतिक मूल्यों के पतन के इस दौर में भारत को अपनी पहचान बनाये रखने की आवश्यकता है। देश में जहां लोग अपने देश की संस्कृति को अपनाने से दूरी अपना रहे है। वहीं विदेशों में भारत तथा भारतीय संस्कृति को सम्मान मिल रहा है। योग का विश्व भर में बढ़ती स्वीकारोक्ति प्रगतिशील भारत की बढ़ती निशानी है। आधुनिक भारत में कई ऐसे क्षेत्र है जहां आधुनिकता के नाम पर देश की संस्कृति के साथ खिलवाड़ हो रहा है। समय रहते समाज को फिर से सावधान होने की जरूरत है।
भारतीय दंड संहिता की धारा 360 के प्रावधाननुसार व्यपहरण अर्थात भारत में व्यपहरण को परिभाषित किया गया है जिसमें कोई व्यक्ति उस व्यक्ति की अथवा उस व्यक्ति की ओर से सम्मति देने के लिए वैध रूप से प्राधिकृत किसी व्यक्ति के सम्मति के बिना भारत की सीमाओं से व्यपहरण कर देता है तो वह उस व्यक्ति का व्यपहरण करता है। इसी तरह धारा 362 भारतीय दंड संहिता के प्रावधानुनासार अपहरण को परिभाषित किया गया है जिसमें कोई किसी व्यक्ति को किसी स्थान से जाने के लिए बल द्वारा विवश करता है या किन्हीं प्रवंचनापूर्ण उपायों द्वारा उत्प्रेरित करता है तब वह उस व्यक्ति का अपहरण करता है।
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