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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ ||༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
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वादी ने स्वयं का एवं एक अन्य साक्षी मनोहर का परीक्षण कराया है। वादी ने अपने अभिवचनों की पुनरावृत्ति अपने कथन में की है। उसने यह भी कहा है, कि प्रतिवादी ने उसके पिता के विश्वास का दुरूपयोग कर उसके पिता से खाली कागज पर हस्ताक्षर लेकर अपने पक्ष में एक कूटरचित वसीयतनामा तैयार किया है। इसके अतिरिक्त वादी का यह भी अभिकथन है, कि वसीयत के निष्पादन के समय उसके पिता की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। प्रतिवादी ने अपने कथन में जवाबदावे में अभिवचनित तथ्यों का समर्थन किया है। उसने अपने चाचा हरनारायण द्वारा उसके पक्ष में निष्पादित रजिस्टर्ड वसीयत का समर्थन किया है तथा आगे यह भी व्यक्त किया है, कि वसीयत के निष्पादन के समय उसका मस्तिष्क ठीक अवस्था में था।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि दहेज प्रताड़ना का कानून महिलाओं को दहेज प्रताड़ना से बचाने के लिए बनाया गया है। लेकिन, यह भी सही है कि हाल के सालों में विवाहिक विवाद काफी बढ़े हैं। शादी के संबंध में कई मामले में काफी तनाव देखने को मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले के शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देकर कहा कि दहेज प्रताड़ना मामले में कानून का दुरूपयोग चिंता का विषय है। पति के रिलेटिव के खिलाफ इस कानून का दुरूपयोग होता है और उस दौरान उसके असर को नहीं देखा जाता है। अगर जनरल और बहुप्रयोजन वाले आरोप को चेक नहीं किया गया तो यह कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग होगा। जब तक पहली नजर में पति के संबंधियों के खिलाफ साक्ष्य न हो तो इस तरह के अभियोजन चलाने को लेकर शीर्ष अदालत ने पहले ही कोर्ट को सचेत कर रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति की अपील नहीं है। लेकिन, अन्य ससुरालियों ने अर्जी दाखिल की है। हमारा मानना है कि आरोप जनरल और बहुप्रयोजन वाला है। इस तरह केस नहीं चलाया जा सकता है। हम इस मामले में क्रिमिनल कार्रवाई को खारिज करते हैं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 350 के अनुसार, जो कोई किसी व्यक्ति पर उस व्यक्ति की सम्मति के बिना बल का प्रयोग किसी अपराध को करने के लिए उस व्यक्ति को जिस पर बल का प्रयोग किया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि दहेज प्रताड़ना का कानून महिलाओं को दहेज प्रताड़ना से बचाने के लिए बनाया गया है। लेकिन, यह भी सही है कि हाल के सालों में विवाहिक विवाद काफी बढ़े हैं। शादी के संबंध में कई मामले में काफी तनाव देखने को मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले के शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला देकर कहा कि दहेज प्रताड़ना मामले में कानून का दुरूपयोग चिंता का विषय है। पति के रिलेटिव के खिलाफ इस कानून का दुरूपयोग होता है और उस दौरान उसके असर को नहीं देखा जाता है। अगर जनरल और बहुप्रयोजन वाले आरोप को चेक नहीं किया गया तो यह कानूनी प्रक्रिया का दुरूपयोग होगा। जब तक पहली नजर में पति के संबंधियों के खिलाफ साक्ष्य न हो तो इस तरह के अभियोजन चलाने को लेकर शीर्ष अदालत ने पहले ही कोर्ट को सचेत कर रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति की अपील नहीं है। लेकिन, अन्य ससुरालियों ने अर्जी दाखिल की है। हमारा मानना है कि आरोप जनरल और बहुप्रयोजन वाला है। इस तरह केस नहीं चलाया जा सकता है। हम इस मामले में क्रिमिनल कार्रवाई को खारिज करते हैं।
भारतीय दंड संहिता की धारा 350 के अनुसार, जो कोई किसी व्यक्ति पर उस व्यक्ति की सम्मति के बिना बल का प्रयोग किसी अपराध को करने के लिए उस व्यक्ति को जिस पर बल का प्रयोग किया जाता है।
