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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created Nov 25th 2022, 06:49 by Ramprashad dubey
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पुलिस के डंडे का जोर और खौफ अक्सर दिख जाता है। कानून का डर होना भी चाहिए, लेकिन केवल अपराधियों में। पुलिस के होते हर छोटा-बड़ा, महिला-पुरूष खुद को सुरक्षित महसूस करे, पुलिस से यह अपेक्षा रहती है। फिलहाल इंदौर में ऐसी पुलिसिंग का लक्ष्य हासिल करना चुनौती है, लेकिन पुलिस कम से कम शहर की जनता का भरोसा टूटते नहीं दे, यह उसकी इच्छशक्ति और उसके बस में है। आज शहर नशे और उसके दुष्प्रभाव वाली अपसंस्कृति की दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति का सामना कर रहा है। बुद्धिजीवी से लेकर आम शहरी तक इससे चिंतित है, क्योंकि अहिल्या नगरी की गौरवशाली संस्कृति का सवाल है। दरअसल, पढ़ने के लिए बाहर से आकर कुछ युवा नशे के दलदल में फंसने के बाद अपराध की तरफ मुड रहे है। या खुदकुशी को मजबूर है। पिछले दिनों नशे में धुत बेसुध कुछ युवक-युवतियों के आपत्तिजनक वीडियों वायरल हुए, जिस पर तीखी प्रतिक्रिया देखी गई। चिंतकों की मंडली समाधान की दिशा में पहल कर रही है। जनप्रतिनिधि भी अपनी-अपनी राय दे रहे है। कोई रात्रि संस्कृति को कोस रहा तो कोई नशे की नस तोड़ने में पुलिस की नाकामी गिना रहा है। हालांकि पुलिस सोशल पुलिसिंग की सराहनीय पहल करते हुए विद्यार्थियों के इलाके में पहुंच रहीं है। चारित्रिक शुचिता और कॅरियर को केंद्र में रखकर जगह-जगह पाठशाला लगा रही है। उन्हें अपराध और नशे से दूर रहने की नसीहत भी दी जा रही है, लेकिन समस्या बड़ी है। समाधान के लिए और भी ठोस कदम की जरूरत है। सोशल पुलिसिंग के साथ सामाजिक संस्थाओं और उन अभिभावकों को भी शामिल करना होगा, जो सैकड़ों किमी दूर से बच्चों को भविष्य की खातिर यहां भेजते है। प्रभावित बच्चों की पहचान कर अभिभावकों की मौजूदगी में पुलिस काउंसिलिंग कराए, ताकि उनके बच्चों को भटकने से बचाया जा सके। बच्चे अपना भविष्य संवारते हुए माता-पिता के सपनों को पूरा कर सकें। इधर आला अधिकारियों को भी चाहिए कि पुलिस के अपने तंत्र में सुधार करें। नशे के नेटवर्क को भी जिम्मेदारों को नीयत के साथ नष्ट करना होगा।
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