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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ ||༺•|✤आपकी सफलता हमारा ध्येय✤|•༻
created Nov 24th 2022, 12:19 by typing guru
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बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल के किनारे बहुत ही अच्छा गांव था लेकिन उस गांव के ही पास एक चट्टान थी, जिस पर शेर ने अपना रहने का ठिकाना बनाया हुआ था। गांव के लोग शेर से बहुत ज्यादा डरते थे। एक बार शेर को बहुत तेज भूख लगी। जंगल में तो वह जा नहीं सकता था। क्योंकि जंगल चट्टान से बहुत दूर था। उसने निश्चिय किया कि वह आज गांव में ही जाकर शिकार करेगा। अब वह चलता गया और उसे पास में ही एक झोपड़ी दिखी। उसमें दिए कि रौशनी दूर से ही चमक रही थी। दिए की रौशनी को देख शेर को लगा कि यहां कोई न कोई तो जरूर होगा, आज यहीं चलता हूं।
शेर झोपड़ी के पास आ पहुंचा। लेकिन जब उसने खिड़की से अंदर झांक कर देखा तो वहां एक बच्चा था जो बहुत जोर जोर से रो रहा था। शेर अंदर प्रवेश करने ही वाला था। कि वहां उस बच्चे की मां आ गयी और अपने बच्चे को चुप कराने लगी। बच्चे की मां बोल रही थी, चुप हो जा बेटा नहीं तो भालू आ जाएगा, बच्चा चुप नहीं हुआ। इस पर शेर सोचने लगा कि कैसा बच्चा है भालू से नहीं डर रहा। तब फिर से उसकी मां बोली, बेटा चुप हो जा, लोमड़ी बाहर ही खड़ी है, वह तुझे ले जाएगी। बच्चा तो फिर भी चुप नहीं हुआ। शेर का आश्चर्य अब बढ़ता ही जा रहा था। अब उसके चुप न होने पर उसकी मां बोली, बेटा चुप हो जा देख तुझे लेने शेर आया है, वह खिड़की के पीछे से झांक रहा है। बच्चा तभी भी चुप नहीं हुआ। शेर अब बालक और उसकी मां से बहुत भयभीत हो गया। वह सोचने लगा, इसे कैसे पता लगा कि मैं यहां हूं, और यह बालक तो मुझसे भी नहीं डरता।
शेर झोपड़ी के पास आ पहुंचा। लेकिन जब उसने खिड़की से अंदर झांक कर देखा तो वहां एक बच्चा था जो बहुत जोर जोर से रो रहा था। शेर अंदर प्रवेश करने ही वाला था। कि वहां उस बच्चे की मां आ गयी और अपने बच्चे को चुप कराने लगी। बच्चे की मां बोल रही थी, चुप हो जा बेटा नहीं तो भालू आ जाएगा, बच्चा चुप नहीं हुआ। इस पर शेर सोचने लगा कि कैसा बच्चा है भालू से नहीं डर रहा। तब फिर से उसकी मां बोली, बेटा चुप हो जा, लोमड़ी बाहर ही खड़ी है, वह तुझे ले जाएगी। बच्चा तो फिर भी चुप नहीं हुआ। शेर का आश्चर्य अब बढ़ता ही जा रहा था। अब उसके चुप न होने पर उसकी मां बोली, बेटा चुप हो जा देख तुझे लेने शेर आया है, वह खिड़की के पीछे से झांक रहा है। बच्चा तभी भी चुप नहीं हुआ। शेर अब बालक और उसकी मां से बहुत भयभीत हो गया। वह सोचने लगा, इसे कैसे पता लगा कि मैं यहां हूं, और यह बालक तो मुझसे भी नहीं डरता।
