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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565

created Nov 23rd 2022, 04:07 by Sai computer typing


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भारतीय संस्‍कृति नर से नारायण बनाने की संस्‍कृति है। मनुष्‍य ही वह प्राणी है, जिसके पास ब्रह्म हो जानने का उनुभव ज्ञान होता है। मनुष्‍य के अलावा किसी भी प्राणी के पास यह विशेषता नहीं है कि वह बह्म तत्‍व को पहचान सके। जैसे ही मनुष्‍य को यह अनुभूति होने लगती है, वह अपने सम्‍पूर्ण स्‍वरूप से परिचित हो जाता है। शास्‍त्रों में लिखा गया है, ब्रह्मा ने संकल्‍पों से सृष्टि रची। हम सभी ब्रह्माण्‍ड संकल्‍प शक्ति ने नई सृष्टि के नव निर्माण में निर्मित बन सकते हैं। हमारे संकल्‍प ही हमारी स्‍व-स्थिति का आधार है। हमारे संकल्‍प ही हमारे जीवन की दिशा और दशा को तय करते हैं। संकल्‍पों से ही हम अपनी स्‍मृतियां जागृत करते है। संकल्‍पों की शक्ति विज्ञान की शक्ति से अधिक शक्तिशाली विज्ञान की शक्ति से अधिक शक्तिशाली है। संकल्‍पों की शक्ति से हम बहुत से कार्य इतनी तीव्र गति से करते है, जिनके सामने विज्ञान के साधन भी बोने नजर आते है। संकल्‍पों की शक्ति से हम ऐसे कार्य भी सम्‍पन्‍न कर सकते हैं, जिन्‍हें विज्ञान पूरा करने में असमर्थ है। जिसमें पूरी शक्ति से काम करने की दृढ़ लगन है, उसके मार्ग में चाहे कितना भी प्रबल विरोध का प्रवाह आए, वह उसकी गति को अवरूद्ध नहीं कर सकता अथवा पीछे नहीं हटा सकता। आप आगे बढ़ने का प्रयत्‍न जितनी दृढ़ता के साथ करेंगे, सफलता उतनी ही आपके समीप आती जाएगी। पुरूपार्थ सब अभावों की पूर्ति करता है।   

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