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ACADEMY FOR STENOGRAPHY, DIR- BHADORIYA SIR MPHC DISTRICT COURT AG-3

created Nov 22nd 2022, 06:15 by ThakurAnilSinghBhado


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टीवी एंकर अर्नब गोस्‍वामी पर दर्ज दो मामलों को लेकर एकनाथ शिंदे सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है। उद्धव ठाकरे के सीएम रहते दर्ज किए गए दोनों मामलों में बांबे हाईकोर्ट ने स्‍टे लगा दिया था। उसके बाद से मुंबई पुलिस इन दोनों की जांच नहीं कर पा रही थी। उद्धव ठाकरे के समय में तत्‍कालीन सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। लेकिन एकनाथ शिंदे की सरकार ने याचिका को वापस लेने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस डीवाई टंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच को इस मामले की सुनवाई करनी थी। लेकिन राज्‍य सरकार की तरफ से पेश वकील ने बेंच को बताया कि उन्‍हें निर्देश मिला है कि याचिका को वापस ले लिया जाए। चीफ जस्टिस की बेंच ने सहमति दे दी। अर्नब के खिलाफ पालघर मामले को सांप्रदायिक बनाने के मामले में एक केस दर्ज किया गया था। जबकि दूसरा मामला बांद्रा रेलवे स्‍टेशन के सामने लॉकडाउन के दौरान लोगों की भीड़ जमा करने को लेकर था। दोनों मामलों में अर्नब गोस्‍वामी ने तीखी कवरेज की थी। रिपब्लिक टीवी पर इसे लेकर काफी खबरें चलाई गई थीं। पुलिस ने केस दर्ज किया तो अर्नब ने हाईकोर्ट का रुख किया। जहां से पुलिस को मामले की विवेचना करने से रोक दिया गया। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि उन्‍हें नहीं लगता कि अर्नब गोस्‍वामी ने टीवी डिबेट ये खबरों के जरिये राष्‍ट्रीय अखंडता को ठेस पहुंचाने की कोशिश की। उनका कहना था कि रिपब्लिक टीवी के हेड ने ऐसा कोई काम नहीं किया जो देशद्रोह के दायरे में आता हो। उद्धव सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उसका कहना था कि पुलिस को कम से कम उसका काम तो करने दिया जाता। ध्‍यान रहे कि सुशांत सिंह राजपूत की खुदकुशी के मामले में रिपब्लिक टीवी की तरफ से एग्रेसिव रिपोर्टिंग की गई थी। उस दौरा्न मामले में उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्‍य ठाकरे की नाम भी उछला था। उसके बाद उद्धव सरकार अर्नब पर हमलावर थी।और यह केस पूरे महाराष्‍ट्र में फैल गया है। और यह बात पूरे भारत में हुई थी।

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