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ACADEMY FOR STENOGRAPHY, MORENA,DIR- BHADORIYA SIR TYPING MPHC DISTRICT COURT AG-3
created Sep 28th 2022, 03:06 by mahaveer kirar
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यह अपील 1983 की दांडिक रिट याचिका संख्या 516 में पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय के एकल न्यायमूर्ति के तारीख 29 नवम्बर, 1983 वाले निर्ण के विरूद्ध विशेष इजाजत लेकर की गई है। यह रिट याचिका प्रत्यर्थी द्वारा फाइल की गई थी और उसने मजिस्ट्रेट द्वारा पारित निरोध आदेश पर आक्षेप किया था क्योंकि मजिस्ट्रेट ने प्रत्यर्थी को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 की धारा 3 के साथ पठित धारा 3 के अधीन निरुद्ध किया था। प्रत्यर्थी को उक्त निरोध आदेश के विरुद्ध गिरफ्तार कर लिया गया और कारागार में डाल दिया गया और दूसरे कारागार में भेज दिया गया। प्रत्यर्थी ने उच्च न्यायालय में इस बार में आक्षेप किया कि उसे क्यों एक कारागार में दूसरे कारागार से अन्तरित किया गया है। इस पर सरकार ने उसे आश्वासन दिया कि ऐसा नहीं किया जाएगा। जिस पर कि प्रत्यर्थी ने अपनी रिट याचिका वापस ले ली। प्रत्यर्थी पर निरोध आदेश की तामील इस आधार पर की गई जिनमें वस्तुस्थिति को तोड़-मरोड़कर और बढ़ा-बढ़ा कर बतलाया गया था। तत्पश्चात् मामले उच्चतम न्यायालय में प्रस्तुत हुआ। यह विशेष इजाजत द्वारा अपील के रूप में था। अपील मंजूर करते हुए, न्यायाधीश की बाबत, उनके निम्नानुसार जो वुटि हुई है, वह इस सुगमता, अपरीक्षित उपधारणा के कारण हुई है, जो कि उन्होंने मामले के महत्वपूर्ण पहलू पर अपनाई है। इसका कारण यह है कि सी. आई. डी. की रिपोर्ट निरोध के आधारों सहित उसे प्रदत्त की गई थी, उसमें यह अभिव्यक्त अनुबंध मौजूद था कि वह निरोध के कारणों का आधार गठित करती थी। इन आधारों में प्रत्येक व्यौरे का उल्लेख किया गया है जिसका उल्लेख किया जाना आवश्यक ही था। सी. आई. डी. की रिपोर्ट निरुद्ध व्यक्ति को इस रूप में प्रस्तुत की गई थी मानों कि वह उस जानकारी का स्त्रोत गठित करती थी जो इस निष्कर्ष की ओर ले जाता था कि उसने भाषण दिया था जिससे कि लोक व्यवस्था के हितों में उसका निरोध आवश्यक हो गया था। इन परिस्थितियों में, निरुद्ध व्यक्ति को जो आधार तथा सामग्री प्रस्तुत की गई थी, उनका परिशीलन एक साथ किया जाना है मानों कि सी. आई. डी. की रिपोर्ट के रूप में सामग्री निरोध के आधारों को अग्रसर करती है।
