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pioneer academy jiwaji ganj morena (PGDCA, DCA, CPCT)
created Thursday June 23, 16:26 by Sandeep2121
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संयुक्त परिवार की छोटी बहू बने हुए रचना को एक महीना ही हुआ था कि उसने घर के माहौल में अजीब सा तनाव महसूस किया। कुछ दिन तो विवाह की रस्मों व हनीमून में हंसी-खुशी बीत गए पर अब नियमित दिनचर्या शुरु हो गई थी। निखिल औफिस जाने लगा था। सासू मॉं राधिका, ससुर उमेश, जेठ अनिल, जेठानी रेखा और उन की बेटी मानसी का पूरा रुटीन अब रचना को समझ आ गया था। अनिल घर पर ही रहते थे। रचना को बताया गया था कि वे क्रौनिक डिप्रैशन के मरीज हैं। इस के चलते वे कहीं कुछ काम कर ही नहीं पाते थे। उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जा सकता था। यह बीमारी उन्हें कहां, कब और कैसे लगी, किसी को नहीं पता था। वे घंटों चुपचाप अपने कमरे में अकेले लेटे रहते थे। जेठानी रेखा के लिए रचना के दिल में बहुत सम्मान व स्नेह था। दोनों का आपसी प्यार बहनों की तरह हो गया था। सासू मॉं का व्यवहार रेखा के साथ बहुत रुखासूखा था। वे हर वक्त रेखा को कुछ न कुछ बुरा-भला कहती रहती थीं। रेखा चुपचाप सब सुनती रहती थी। रचना को यह बहुत नागवार गुजरता बाकी कसर सासू मॉं की छोटी बहन सीता आ कर पूरा कर देती थी। रचना हैरान रह गई थी जब एक दिन सीता मौसी ने उस के कान में कहा, “निखिल को अपनी मुट्ठी में रखना। इस रेखा ने तो उसे हमेशा अपने जाल में ही फंसा कर रखा है। कोई काम उस का भाभी के बिना पूरा नहीं होता। तुम मुझे सीधी लग रही हो पर अब जरा अपने पति पर लगाम कस कर रखना। हम ने अपने पंडितजी से कई बार कहा कि रेखा के चक्कर से बचाने के लिए कुछ मंतर पढ़ दें पर निखिल माना ही नहीं। पूजा पर बैठने से साफ मना कर देता है।” रचना को हंसी आ गई थी, “मौसी, पति हैं मेरे, कोई घोड़ा नहीं जिस पर लगाम कसनी पड़े और इस मामले में पंडित की क्या जरूरत थी?” इस बात पर तो वहां बैठी सासू मॉं को भी हंसी आ गई थी, पर उन्होंने भी बहन की हां में हां मिलाई थी, “सीता ठीक कह रही है. बहुत नाच लिया निखिल अपनी भाभी के इशारों पर, अब तुम उस का ध्यान रेखा से हटाना.” रचना हैरान सी दोनों बहनों का मुंह देखती रही थी।
