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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565
created Jun 23rd 2022, 03:38 by Shankar D.
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अमरीका और चीन के शीर्ष सैन्य नेताओं के बीच गत सप्ताह सिंगापुर में मुलाकात हुई। दोनों महाशक्तियों के बीच बढ़ता आपसी तनाव कम करने की कोशिश की गई। इस बीच एशिया में आशंका व्याप्त है कि चीन अपनी सैन्य ताकत बढ़ा कर ताइवान के खिलाफ युद्ध छेड़ सकता है। गत सप्ताह लंदन स्थित एक सामरिक अध्ययन संस्थान की ओर से आयोजित शांगरी-ला संवाद में यह चिंता साफ तौर पर देखी जा सकती थी। हाल ही चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा था कि चीन 2027 तक एशिया में अमरीका के समकक्ष सैन्य ताकत बन कर दिखाना चाहता है। एक ओर चीनी सेना तकनीकी व क्षेत्रीय उपस्थिति बढ़ाने में जुटी है तो दूसरी ओर पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के नेता अब खुलेआम ताइवान पर हमला करने की धमकी दे रहे है। साथ ही यह भी कि चीन बीच में आने वाले हर अन्य देश से लड़ने को तैयार है। सिंगापुर में यूएस हिन्द-प्रशांत कमान के प्रमुख एडमिरल जॉन सी. एक्विलिनो ने इंटरव्यू के दौरान कहा, वह चीन के पारम्परिक व परमाणु दोनों तरह के हथियारों में बढ़ोतरी के रूप में इतिहास की सबसे बड़ी सेना का निर्माण होता देख रहे हैं। चीन एशिया में क्षेत्रीय प्रभुत्व जमा कर यहां की अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बदलना चाहता है। चीन इस तैयारी में है कि अगर वह ताइवान पर आक्रमण करे और यूक्रेन-रूस युद्ध की तर्ज पर इसमें भी अमरीका हस्तक्षेप करे तो उसे रोकने के लिए वह परमाणु हथियार के नाम पर ब्लैकमेल कर सके। चीन का सैन्य विस्तार कंबोडिया में एक गुप्त नौसैनिक ठिकाने और सोलोमन द्वीप समूह के साथ गोपनीय सैन्य सहयोग से समझा जा सकता है। अमरीका को दूर रखने के लिए चीन हाइपरसोनिक मिसाइलों और सेटेलाइट रोधी लेजर तकनीकें विकसित कर रहा है। उधर, पेंटागन के निवेश के प्रतिफल जल्द नजर नहीं आएंगे। ऑकस गठबंधन (ऑस्ट्रेलिया, यूके व यूएस) के तहत ऑस्ट्रेलिया को 2030 से पहले परमाणु पनडुब्बी उपलब्ध नहीं हो पाएंगी। एक्विलिनो के पूर्ववर्ती फिलिप एस. डेविडसन ने सीनेट आर्म्ड सर्विसिस कमेटी के समक्ष मार्च में कहा था कि ताइवान पर चीन के हमले का जोखिम अगले छह साल में बेहद चिंताजनक स्थिति में पहुंच जाएगा। संभवत: 2027 शी जिनपिंग के तीसरे पंच-वर्षीय कार्यकाल का अंतिम वर्ष होगा, इसलिए जिनपिंग ताइवान के विलय की कोशिश के लिए वर्ष 2027 को निजी स्तर पर बतौर समय सीमा तय कर सकते है। जाहिर है कि अमरीका के लिए हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य प्रभुत्व बनाए रखना न तो आसान होगा, न ही सस्ता। सैन्य विस्तार का मुकाबला सैन्य विस्तार से करने का अर्थ वास्तविक जोखिम को न्योता देना है, जिसका कि प्रबंधन जरूरी है, न कि अनदेखी। 1790 में जॉर्ज वाशिंगटन ने कांग्रेस को दिए अपने पहले संबोधन में कहा था, युद्ध के लिए तैयार रहने का मतलब है शांति बनाए रखने का सर्वाधिक प्रभावी उपाय।
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