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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565

created May 19th 2022, 13:25 by Shankar D.


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प्रदेश में जल जीवन मिशन योजना से 2023 तक घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। ग्रामीण इलाकों में 40 फीसदी घरों के साथ 68 हजार स्‍कूल और 60 प्रतिशत से ज्‍यादा आंगनबाड़ी केन्‍द्रों में नल कनेक्‍शन देने दावा किया जा रहा है। पेयजल व्‍यवस्‍था के लिए संसाधन बढ़ाने  के लिए भारी-भरकम राशि खर्च की जा रही है लेकिन ये सभी बिजली के बिना अधूरे हैं। जो भी संसाधन बना रहे हैं, उसके लिए बिजली जरूरी है। अभी हाल यह है कि ग्रामीण इलाकों में पर्याप्‍त बिजली नहीं मिल रही है। तीन फेस बिजली मुश्किल से तीन से चार घंटे ही मिल पर रही है। इस कारण जल जीवन मिशन की मोटर ठप हैं। गांवों के हालात खराब हैं। ग्रामीणों को 10 से 12 घंटे बिजली जरूरत है। सवाल उठता है कि तीन से चार घंटे की बिजली आपूर्ति में कैसे टंकियां भरेंगी? कैसे नलों की टोटियों तक पानी पहुंचेगा? ये हाल सिर्फ शहडोल का नहीं, बल्कि पूरे मध्‍यप्रदेश का है। हाल ही में शहडोल के कोयलांचल और पपौंध क्षेत्र में बिजली के लिए ग्रामीण सड़क पर उतर आए थे। शहडोल संभाग में पांच सौ करोड़ रुपए से ज्‍यादा राशि जल जीवन मिशन में खर्च हो चुकी है। हकीकत ये है कि कहीं पानी है तो संसाधन अधूरे हैं घर-घर शुद्ध पेयजल पहुंचाने की बात भले कर रहे हों, लेकिन बिजली पर किसी का ध्‍यान नहीं है। प्रदेश में बिजली कटौती को लेकर प्रदर्शन भी हो रहे हैं। कहीं बिल जमा नहीं तो ट्रांसफार्मर उठा ले जाते हैं तो कहीं पूरे गांव की बिजली काट दी जाती है। कहीं ट्रांसफार्मर खराब हो गए तो बदले ही नहीं जाते हैं। ऐसे में घर-घर पानी पहुंचाने का सपना कैसे पूरा होगा? अधिकांश स्‍कूलों आंगनबाड़ी केन्‍द्रों में बिजली ही नहीं है। कुछ में बिजली थी तो कनेक्‍शन कट गया। इस स्थिति में मोटर भी बंद है। अधिकारियों ने कोरम पूरा करने हैंडपंप में मोटर लगा दी, लेकिन फिर भी टंकियां सूखी हैं। शुरूआती तौर में अधूरे संसाधनों साथ अधिकारी दौड़ते हैं, लेकिन बाद में हांफ जाते हैं। सुध भी नहीं लेते कि क्‍या स्थिति है? रखरखाव कैसे हो रहा है? पंप चल भी रहे हैं या नहीं? वास्‍तविक रूप से घरों तक पानी पहुंचाना है तो कमियों पर विचार करना होगा। अकेले संसाधनों पर राशि खर्च करने से कुछ नहीं होना है। स्‍त्रोत पर जाना होगा और मैदानी स्‍तर पर व्‍यवस्‍थाओं को बेहतर करना होगा।     

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