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बंसोड टायपिंग इन्‍स्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा मो.नं.8982805777 सीपीसीटी न्‍यूू बैंच स्‍टार्ट

created May 19th 2022, 04:24 by sachin bansod


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भारत में आजीवन निर्वासन का दण्‍डादेश कारागार में किसी बंदी द्वारा आजीवन कठोर कारावास के रूप में होगा। जब तक कि उक्‍त दण्‍डादेश किसी समुचित प्राधिकारी द्वारा दंड संहिता दंड प्रक्रिया संहिता के सुसंगत के अधीन कम कर दिया जाये या उसका परिहार कर दिया जाये तब तक आजीवन कारावास से दंडादिष्‍ट बंदी विदित के अधीन कारागार में आजीवन अवधि का दण्‍ड भोगने के लिये बाध्‍य होगा। कारागार अधिनियम के अधीन विरचित नियमों के अंतर्गत ऐसे बंदी को सामान्‍य, विशेष और रिहाई परिहार प्राप्‍त करने के लिये सुसंगत बनाया गया है और उक्‍त परिहार से उसके कारावास की अवधि को कम किया जायेगा। परिहार का गणना के प्रयोजन के लिये आजीवन निर्वासन के दंडादेश की अवधि निश्चित मानी गई है किंतु ऐसा केवल किसी विशेष प्रयोजन के लिये किया जा सकता है ना कि अन्‍य किसी और उद्देश्‍य के लिये। चूंकि आजीवन निर्वासन आजीवन कारावास के समतुल्‍य है ऐसा किसी अनिश्चित अवधि के लिये भी माना जायेगा, इस प्रकार प्राप्‍त किया गया परिहार व्‍यवहारिक रूप से दोषसिद्ध व्‍यक्ति के लिये सार्थ‍क नहीं हो सकता क्‍योंकि उसकी रिहाई के समय यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता है यही कारण है कि समुचित सरकार को सार्थक बनाने के लिये नियमों कें अधीन परिहार का उपबंध किया गया है ताकि, दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अधीन सुसंगत संगठकों को अधीन करके प्राप्‍त किये गए दण्‍ड की परिहार की अवधि निर्धारित की जा सके। परिहार के प्रश्‍न पर विचार कर एक मात्र आप से समुचित सरकार के कार्य क्षेत्र के अंतर्गत तो है, और इस मामले मे यह कथन किया गया है कि हालांकि समुचित सरकार में दण्‍ड प्रक्रिया संहिता के अधीन कतिपय परिहार निश्‍चय किये है वह दण्‍ड की संपूर्ण मात्रा का परिहार नहीं कर सकते अत: हम यह निर्धारित कर सकते है कि अपराधी के रिहा होने का अधिकार अभी तक अर्जित नहीं किया है। यदि आजीवन निर्वासन की अवधि को आजीवन कठोर कारावास की अवधि के उतने ही भाग के समतुल्‍य माना जाता है , तब निर्वासन की समय अवधि को आजीवन कठोर कारावास माना जाना चाहिए। आजीवन कारावास इस प्रकार का दण्‍ड है जो सामान्‍य कारावास से भिन्‍न होता है और सामान्‍य कारावास दो प्रकार का होता है अर्थात् कठोर और साधारण विधानमंडल के लिये यह आवश्‍यक था कि यह विशेष रूप से यह उल्‍लेख करता कि आजीवन कारावास अब आजीवन कठोर कारावास माना जाएगा क्‍योंकि आजीवन कारावास का दण्‍ड गंभीर अपराधों के लिये अभिरोपित किया जाता है।

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