eng
competition

Text Practice Mode

मंगल टाईपिंग (INDIANA)

created May 18th 2022, 04:05 by gg


0


Rating

170 words
3 completed
00:00
गोरा और विनय छत से उतरने को तैयार थे कि गोरा की मां ऊपर गई। विनय ने उनके पैरों की धूल लेकर प्रणाम किया। गोरा की मां आनन्दमयी देखने से गोरा की मां नहीं लगती। वह बड़ी ही दुबली-पतली और शान्त हैं बाल यदि थोड़े-बहुत सफेद भी हो तो बाहर से देखने पर नहीं लगता; अकस्मात देखने पर यही लगता है कि उनकी उम्र चालीस से कम ही होगी। चेहरे की काट बहुत कोमल; नाक, होठ, ठोड़ी और माथे की लकीरें सभी जैसे बड़ी कोशिश से उकेरी हुई, देह का हर एक अंग नपा-तुला; चेहरे पर हमेशा एक स्वच्छ और तीव्र बुद्धि का भाव दमकता रहता है। सांवला रंग, गोरा के रंग से जिसका कोई भी ताल मेल नहीं है। उनको देखते  ही एक बात की ओर हर एक का ध्यान जाता है- वह यह कि यह साड़ी के साथ कमीज पहनती हैं जिस समय की बात हम कर रहे हैं- तब ठीक नए समाज में औरतों में कमीज या ऊपर के कपड़े पहनने का रिवाज बस शुरू ही हुआ था। फिर भी भली गृहिणीयां इसे महज खिस्तानीपन कहकर इसकी अनदेखी करती थी। कृष्णदयाल बाबू, अनन्दमयी के स्वामी कमिसरियट में काम करते थे; आनन्दमयी युवावस्था से ही उनके साथ पश्चिम में रही थी। इसीलिए यह संस्कार उनके मन पर नहीं पड़ा था कि अच्छी तरह बदन ढकना या ऐसे कपड़े पहनना शर्म की या हंसी की बात है। घर-बार की साफ-सफाई , झाड़-पोछ, खाना-पकाना, सिलाई-कढ़ाई और खर्च का लेखा-जोखा रख करके, कपड़े साफकर और धूप दिखाकर, आस-पड़ोस की खैर-खबर लेकर भी उनका समय चुकता ही नहीं था। बीमार होने पर भी वह देह के साथ किसी तरह की रियायत नहीं करती; कहती हैं,“बिमारी से तो मेरा कुछ बनता-बिगड़ता है नहीं, मगर काम पूरा किए बिना कैसे चलेगा?”
गोरा की मां ऊपर आकर बोलीं,“जब भी गोर की आवाज नीचे सुनाई पड़ती है मैं फौरन समछ जाती हूं कि जरूर विनू आया होगा। कुछ दिनों से घर में बिलकुल शान्ति थी। क्यों, बेटा, तू इतने दिन आया क्यों नहीं? स्वास्थ्य तो ठीक-ठाक है ना?”
शायरी
जाने कौन सा आंसू मेरा राज़ खोल दे
हम इस ख्याल से नज़रे झुकाए बैठे रहते हैं,
मेरे दर्द भी औरों के काम आते है
मै रो पढूं तो कई लोग मुस्कराते है।
उपरोक्त गद्यांश में जो भी गलतियाँ हुई है उसके लिए माफ कर दीजिए।
 
 

saving score / loading statistics ...