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ACADEMY FOR STENOGRAPHY, MORENA,DIR- BHADORIYA SIR TYPING MPHC DISTRICT COURT AG-3
created May 17th 2022, 11:54 by mahaveer kirar
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भारत और अमेरिका के विदेश व रक्षा मंत्रियों के बीच वार्ता की उपलब्धियां जो रही हों, लेकिन एक बड़ा हासिल यह रहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका ने पाकिस्तान को लेकर सख्त रुख दिखाया। वाशिंगटन में दोहरे प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता के बाद जारी साझा बयान में बाकायदा पाकिस्तान का नाम लिया गया। यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है कि पाकिस्तान में हाल में नई सरकार आई है और प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने आतंकवाद से निपटने को अपनी प्राथमिकता बताया है।साझा बयान में कहा भी गया है कि शाहबाज शरीफ यह सुनिश्चित करें कि आतंकवादी पाकिस्तान की जमीन का इस्तेमाल न कर पाएं। पर यह दिन में तारे देखने जैसी कल्पना है। जो सच्चाई है, वह किसी से छिपी नहीं है। क्या पाकिस्तान ऐसा कभी कर भी सकता है? यह अमेरिका भी बखूबी समझता है। आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की निंदा वर्षों से हो रही है। तमाम द्वपिक्षीय और अन्य बैठकों में आतंकवाद से निपटने के लिए लंबी-चौड़ी बातें होती रही हैं। लेकिन पाकिस्तान पर कोई असर पड़ता दिखा नहीं, बल्कि वह भारत के खिलाफ सीमापार आतंकवाद की नीति जारी रखे हुए है। ऐसे में अब देखने की बात यह है कि आतंकवाद के मुद्दे पर अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ किस हद तक जा पाता है।साझा बयान में जिन बातों पर जोर दिया गया है, वे तो अपनी जगह उचित हैं ही, उनसे कहीं ज्यादा जरूरत इस बात की है कि इन्हें अमलीजामा कैसे पहनाया जाए। कहने को अमेरिका खुद भी आतंकवाद का दंश झेलता रहा है। आतंकवाद के खात्मे के नाम पर दुनिया भर में बड़े-बड़े सैनिक अभियान तक चलाए। ऐसे में भला उससे बेहतर कौन समझ सकता है भारत की पीड़ा! यह तो वह कहता ही रहा है कि आतंकवाद के खिलाफ जंग में वह भारत के साथ खड़ा है।इसलिए उससे यह उम्मीद भी रहती है कि वह पाकिस्तान के खिलाफ सिर्फ बयान ही जारी न करे, बल्कि उस पर लगाम भी कसे। पर ईमानदारी से देखें, तो आतंकवाद के मसले पर अमेरिका ने पाकिस्तान के खिलाफ आज तक ऐसा कोई कठोर कदम नहीं उठाया जो आतंकवाद फैलाने वाले दुनिया के चंद देशों और आतंकी संगठनों के लिए मिसाल बनता।
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