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साँई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो. नं. 9098909565

created May 16th 2022, 03:18 by Sai computer typing


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सरकार की ओर से खान-पान में मिलावट के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई के निर्देश लगातार दिए जा रहे हैं, लेकिन दमघोंटू प्रदूषण नजरअंदाज है। विंध्‍य क्षेत्र भी प्रदूषण से अछूता नहीं है। ऊर्जाधानी सिंगरौली से लेकर सीमेंट नगरी सतना तक की आबोहवा खराब है। बढ़ते वाहनों की जांच में खानापूर्ति हवा को दिनोंदिन और जहरीली बना रही है। कहने को तो प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए जिलों में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड है, लेकिन अधिकारियों और वैज्ञानिकों की सक्रियता कार्रवाई में कम साठगांठ में ज्‍यादा रहती है। इसकी बानगी हाल ही सतना में ईओडब्‍ल्‍यू की छापामारी में देखी जा चुकी है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कनिष्‍ठ वैज्ञानिक सात करोड़ का आसामी निकला, जबकि, फार्म हाउस और बैंक लॉकर की जांच बाकी है। विंध्‍य में ऊर्जा संयत्र, सीमेंट फैक्ट्रियां, क्रशर संयत्र मनमानी तरीके से संचालित हो रहे है। उन पर सख्‍त पाबंदी नही लगाए जाने और नियम-शर्तों का पालन नहीं होने से हवा के साथ पानी भी प्रदूषण से मुक्ति के लिए सरकारी मुहिम चलाने की। सरकार ने इसको लेकर जल्‍द ही कोई सख्‍त कदम नहीं उठाया तो ऊर्जाधानी की तरह सतना रीवा में भी प्रदूषण का स्‍तर चरम पर होगा। सिंगरौली प्रदूषण के मामले में देश के महानगरों को भी पीछे छोड़ चुका है। कई महीनोसे यह देश के सबसे अधिक वायु प्रदूषण वाले सबसे खराब पांच शहरों में बना हुआ है। यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक 378 के पार चला गया था। वर्तमान मे भी यह खराब स्थिति मे है। सर्वे संस्‍था ग्रीन पीस की ओर से वर्ष 2020 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक सल्‍फर डाई ऑक्‍साइड के उत्‍सर्जन में सिंगरौली देश में पहले और दुनिया में छठवे स्‍थान पर रहा है। इस भयानक स्थिति के बाद केंद्र सरकार की नींद टूटी और विद्युत उत्‍पादक कंपनियों में फ्लू गैस डीसल्‍फराइजेशन सिस्‍टम लगाना अनिवार्य किया गया। वर्तमान में सल्‍फर डाई ऑक्‍साइड से राहत को केवल इतना काफी नहीं है। जल्‍द ही प्रदूषण से राहत को उचित कदम नही उठाए गए तो सिंगरौली के बाद विंध्‍य क्षेत्र के दूसरे जिले भी भयानक तरीके से प्रदूषण की चपेट में होगे। प्रदेश के कई दूसरे शहरों का भी हाल होगा।  

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