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SHREE BAGESHWAR ACADEMY TIKAMGARH (M.P.) Contact- 8103237478
created May 16th 2022, 02:59 by Shreebageshwar Academy
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एक समय की बात है, एक राज्य में राजा राज करता था। उसकी केवल एक आंख थी और एक पैर था इन कमजोरियों की बाद भी वह एक कुशल, दयालू और बुद्धिमान शासक था। उसके शासन में प्रजा बहुत खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही थी, एक दिन राजा अपने महल के गलियारे से टहल रहा था, सहसा उसकी दृष्टि गालियारे की दीवार पर लगे चित्रों पर पड़ी वे चित्र उसके पूर्वज के थे उन चित्रों को देख राजा के मन में विचार आया कि भविष्य में जब उसके उत्तराधिकारी महल के उस गलियारे से टहलेंगे, तो उन चित्रों को देख अपने पूर्वजों का स्मरण करेंगे, राजा का चित्र अब तक उस दीवार पर नहीं लगा था, अपनी शारीरिक अक्षमताओं के कारण वह नहीं जानता था कि उसका चित्र कैसा दिखेगा। लेकिन उस दिन उसने सोचा कि उसे भी अपना चित्र उस दीवार पर लगावाना चाहिए। अगले दिन उसने अपने राज्य के श्रेष्ठ चित्रकारों को दरबार में आमंत्रित किया दरबार में उसने घोषण की कि वह महल में लगवाने के लिए अपना सुंदर चित्र बनवाना चाहता है, जो उसका सुंदर चित्र बना सकता है, वह चित्रकार आगे आये, चित्र जैसा बनेगा वैसा ही उस चित्रकार को ईनाम दिया जायेगा। दरबार में उपस्थित चित्रकार अपनी कला में निपुण थे, लेकिन राजा की घोषणा सुनने के बाद वे सोचने लगे कि राजा तो काना और लंगड़ा है ऐसे में उसका सुंदर चित्र कैसे बन पायेगा। चित्र सुंदर नहीं दिखा, तो हो सकता है राजा क्रोधित होकर उन्हें सजा दे दे यह विचार किसी को आगे आने का साहस न दे सका सब कोई न कोई बहाना बनाकर वहां से चले गए। वहां मात्र एक युवा चित्रकार खड़ा रहा राज ने उससे पूछा, क्या तुम मेरा चित्र बनाने को तैयार हो युवा चित्रकार ने हामी भर दी राजा ने उसे अपना चित्र बनाने की आज्ञा दे दी अगले ही दिन से वह चित्रकार राजा का चित्र बनाने में जुट गया।
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