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Aarav Classes morena CPCT,Ssc,Vyapam,High Court,District Court Typing ANAND SIR & DHEERAJ SIR 8871648109, 7987156609

created Mar 6th 2022, 15:21 by 123698


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दिल्‍ली को राजधानी बनाने का ऐलान 12 दिसंबर 1911 को हुआ था। तब भारत के शासक किंग जॉर्ज पंचम ने दिल्‍ली दरबार में इसकी आधारशिला रखी थी। बाद में ब्रिटिश आर्केटेक्‍ट सर हरबर्ट बेकर और सर एडविन लुटियंस ने नए शहर की योजना बनाई थी। इस योजना को पूरा करने में दो दशक लग गए थे। इसके बाद 13 फरवरी 1931 को आधिकारिक रूप से दिल्‍ली देश की राजधानी बनी। इतिहासकारों का मानना है दिल्‍ली शब्‍द फारसी के दहलीज से आया है क्‍योंकि दिल्‍ली गंगा के तराई इलाकों के लिए एक दहलीज थी। कुछ लोगों का मानना है दिल्‍ली का नाम तोमर राजा ढिल्‍लू के नाम पर पड़ा। एक अभिशाप को झूठा सिद्ध करने के लिए राजा ढिल्‍लू ने इस शहर की बुनियाद में गड़ी एक कील को खुदवाने की कोशिश की। इस घटना के बाद उनके राजपाट का अंत तो हो गया। लेकिन मशहूर हुई एक कहावत, किल्‍ली तो ढिल्‍ली भई, तोमर हुए मतिहीन जिससे दिल्‍ली को उसका नाम मिला। 12 दिसंबर 1911 को ब्रिटिश राज के सबसे बड़े तमाशे दिल्‍ली दरबार में पहली बार किंग जार्ज पंचम अपनी क्‍वीन मैरी के साथ मौजूद थे। उन्‍होंने अस्‍सी हजार लोगों की मौजूदगी में घोषणा की, हमें भारत की जनता को यह बताते हुए बेहद हर्ष हो रहा है। कि सरकार और उसके मंत्रियों की सलाह पर देश को बेहतर ढंग से प्रशासित करने के लिए‍ ब्रिटिश सरकार भारत की राजधानी को कलकत्‍ता से दिल्‍ली स्‍थानां‍तरित कर रही है। तब दिल्‍ली बहुत पिछड़ी थी। बाम्‍बे, कलकत्‍ता और मद्रास जैसे महानगर हर बात में काफी आगे थे। यहां तक कि लखनउ और हैदराबाद भी दिल्‍ली से बेहतर माने जाते थे। दिल्‍ली की महज तीन फीसदी आबादी अंग्रेजी पढ़ पाती थी। यही कारण है कि विदेशी भी बहुत कम आते थे। मेरठ की तुलना में भी दिल्‍ली में काफी कम विदेशी आते थे हालात इतने खराब थे कि कोई बड़ा आदमी वहां पैसा लगाने को तैयार नहीं था, लेकिन भौगोलिक आकार से देश के मध्‍य में होने के कारण दिल्‍ली को राजधानी बनाने का ऐलान हुआ। दो दशक तक उसे विकसित किया गया। तब दिल्‍ली में पेट्रोल तीस पैसे लीटर था। लेकिन वाहन तेजी से चलाने पर सौ रूपए तक अर्थदंड वसूला जाता था। यह तेज गति थी 19 किमी प्रति घंटा। दिल्‍ली में बर्मा ऑइल कंपनी पेट्रोल बांटती थी। किंग जॉर्ज पंचम के उस दौरे के बाद से पोस्‍ट ऑफिस से फोन कॉल करने की सुविधा मिली थी। हालांकि चुनिंदा रईस लोग ही फोन लगाते थे, लेकिन खास बात यह थी कि तब फोन कॉल्‍स घड़ी देखकर होते थे। बातचीत का तीसरा मिनट शुरू होने का मतलब था कि अगले 60 सेकंड में बात खत्‍म करके कॉल कट करना होगा। तीन मिनट के कॉल के चार आने यानी 25 पैसे लगते थे।
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