Text Practice Mode
बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट मेन रोड़ गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 मो.नं.8982805777
created Jan 15th 2022, 02:49 by Ashu Soni
2
200 words
33 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
saving score / loading statistics ...
00:00
करनाल के मैदान में मुहम्मद शाह की सेना को हराकर जब विजयी नादिरशाह दिल्ली पहुंचा तो दोनों बादशाह साथ ही तख्त पर बैठे। नादिरशाह को प्यास लगी। उसने मुहम्मद शाह को पानी मँगाने का संकेत किया। वह पानी आने का इंतजार कर रहा था कि उसे नगाड़े बजने की आवाज सुनाई पड़ी। लगा, जैसे कोई उत्सव होने जा रहा है। वह अभी पूछने ही वाला था कि उसके सामने दस बारह नौकर हाजिर हुए। किसी के हाथ में रूमाल था तो किसी के हाथ में पानदान। तभी दो-तीन नौकर आगे बढ़े। उनके हाथ में चॉंदी का एक थाल था। उसमें बड़े तरतीब से जल भरे हुए गिलास सजे थे। वह थाल बेशकीमती कपड़े से ढका हुआ था। नादिरशाह को जब पता चला कि यह सारा आडंबर उन्हें पानी पिलाने के लिए है तो वह बोला, हम ऐसा पानी नहीं पीते। इसके बाद उसने जोर से आवाज देकर अपने भिश्ती को बुलाया। भिश्ती चमड़े की मशक में पानी लिये तुरंत दौड़ा आया। नादिरशाह ने सिर से अपना लोहे का टोप उतारा और उसमें पानी भरकर तुरंत पी गया। फिर उसने मुहम्मद शाह की ओर देखकर कहा, अगर हम भी तुम्हारी तरह पानी पीते तो ईरान से हिंदुस्तान तक न आ पाते।
