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SAKSHI COMPUTER, Gali No. 01 Gulabra Chhindwara
created Oct 21st 2021, 10:39 by Anurag uikey
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टी-20 वर्ल्ड कप पर क्रिकेट वाली यादे कहानी सीरिज की पहली कहानी बिहार के बक्सर के इंद्रभूषण की है। मेरे पापा रेडियों पर मैच सुनने की आदत से बहुत खफा रहते थे। कई बार तो कनपटी पर तमाचा रसीद होते-होते बच जाता था। पापा करीब चार बजे आए। जागता देखकर बहुत खुश हो गए, लेकिन इधर रेडियों ने कहा कि ये लगा बीएसएनएल चौका, कनेन्टिाग इंडिया। उधर पापा ने रेडिया उठाया और पटकने के लिए हाथ उठाए। शुक्र हो मम्मी का, वो भागते आई और उन्होंने पापा के हाथ से रेडियों छीन लिया। बोलीं कि वो रेडियों छिपाकर रख देगी। हमें लगा कि अब तो गया, लेकिन शाम होते-होते हमने मम्मी से रेडियों मांग ही लिया, और उन्होंने भी कसम दिलाई कि किसी हाल में पापा नहीं देखने चाहिए। अब कोई तरीका नहीं सूझ रहा था कि क्या किया जाए। फिर एक आइडिया आया कि तकिए की सारी रूई निकाल ली जाए और उसके अन्दर रेडियों को भरकर ऊपर से तकिए की खेल चढ़ा दी जाए। किया भी यही। अब हमारा सब मस्त चलने लगा। दो-दिन चार दिन बीता, हम लोग बेफ्रिक तकिए के ऊपर सिर रखकर मैच सुनने लगे, लेकिन एक दिन इसकी भी पोल खुल गई। तकरीबन सुबह 4 बजे का वक्त था, तकिए के ऊपर सिर रखकर मैच सुन रहे थे, पापा भी बगल में ही सोए थे। अचानक सिर इधर उधर होने से रेडियों की वॉल्यूम बढ़ गई और कॉमेंट्री गूंजने लगी। अब तो पापा का गुस्सा सातवें आसमान पर था। उन्होंने सीधे तकिए को उठाया और दे पटक मारा। तकिए के साथ रेडियों भी चूर-चूर हो गया। पूरे दिन घर में बवाल कटता रहा। फिर हम लोगों ने कान पकड़कर माफी मांगी तब जाकर मामला शांत हुआ।
घ्र का बवाल तो हमने कान पकड़कर शांत कर लिया था। लेकिन अंदर जो क्रिकेट सूनने का तूफान उठ रहा था, उसे शांत नहीं कर पा रहे थे। फिर पड़ोसी के चाचा के पास गए। उन चाचा से हमारी ज्यादा बनती नहीं थी, लेकिन हमने उनसे एकदम प्यार से जाकर बोले कि अपना रेडिया की आवाज थोड़ी तेज रखा कीजिए। जब उनके यहां रेडियों चलता तो हम लोग स्कोर पर्ची पर लिखकर और पढ़ाई के दौरान एक-दूसरे को दिखाते रहते।
घ्र का बवाल तो हमने कान पकड़कर शांत कर लिया था। लेकिन अंदर जो क्रिकेट सूनने का तूफान उठ रहा था, उसे शांत नहीं कर पा रहे थे। फिर पड़ोसी के चाचा के पास गए। उन चाचा से हमारी ज्यादा बनती नहीं थी, लेकिन हमने उनसे एकदम प्यार से जाकर बोले कि अपना रेडिया की आवाज थोड़ी तेज रखा कीजिए। जब उनके यहां रेडियों चलता तो हम लोग स्कोर पर्ची पर लिखकर और पढ़ाई के दौरान एक-दूसरे को दिखाते रहते।
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