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सॉंई कम्‍प्‍यूटर टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Oct 21st 2021, 07:30 by lucky shrivatri


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आपदा का समय अभी टला नहीं है और एक के बाद एक पर्वों का सिलसिला शुरू हो गया है। जाहिर सी बात है कि किसी भी पर्व में उल्‍लास को कम नहीं किया जा सकता। बल्कि वैक्‍सीनेशन अभियान के बाद लोगों में अब एक बात घर कर गई है कि उन्‍हें कुछ नहीं होगा और इसी का नतीजा है कि भीड़ को काबू करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। बेकाबू उल्‍लास के कारण ही ऐसे बवाल नजर आते हैं जो धर्मालुओं और प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति निर्मित करते हैं। प्रशासन को ये बात समझने की जरूरत नहीं किसी भी धर्म के जुलूसों में एक बड़ी संख्‍या युवाओं की होती है और खासकर उनकी जो धर्म या अपने समाज के लिए कुछ भी गलत बर्दाश्‍त नहीं करते। धर्म के प्रति अगाध प्रेम उसी धर्म-समाज के प्रमुख लोग। ईद मिलादुन्‍नबी में प्रदेश के कुछ शहरों में जो अप्रिय स्थिति बनी उससे एक बात बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट है कि प्रशासन को और बेहतर पूर्व तैयारियां करनी होंगी। सिर्फ स्‍थान तय कर देना, कागजों पर जूलूस की शक्‍ल तय कर देना और कुछ नियम कायदे जारी कर देना काफी नहीं है। अब हर ऐसे मामले से पहले प्रशासन को बाकायदा समाज धर्म के प्रमुखों के साथ बैठक कर यह भी तय करना होगा कि नियम के उल्‍लंघन पर प्रशासन क्‍या करने के लिए स्‍वतंत्र होगा। नियमों के उल्‍लंघन की जिम्‍मेदारी फिर प्रमुख लोगों पर तय की जाएगी। समाज धर्म के कौन लोग हैं जो प्रशासन के साथ व्‍यवस्‍थाओं में हाथ बंटाएंगे। क्‍योंकि ये सिर्फ एक मामला नहीं है। अभी तमाम ऐसे पर्व आने वाले हैं जब ऐसी स्थिति बन सकती है। किसी एक धर्म या समाज का मामला नहीं है। एक को अनुमति देंगे तो दूसरा भी इजाजत मांगेगा। यहां प्रशासन को साम्‍य की स्थिति रखनी होगी। जनप्रतिनिधियों को भी सामने आना होगा। यदि क्षेत्र में उन्‍माद होता है तो जनप्रतिनिधियों की जवाबदारी भी उतनी ही है, जितनी प्रशासन की। उन्‍हें भी व्‍यवस्‍थाओं में मदद करनी चाहिए। आखिर क्‍यों सिर्फ प्रशासन और पुलिस दोनों पर दारोमदर रहे। बात शहर के सद्भाव कायम रखने की है तो जिम्‍मेदारी सभी प्रमुख लोगों की है। कोरोना से बचने के लिए वैक्‍सीनेशन हुआ है, लेकिन अभी देश कोरोना मुक्‍त नहीं हुआ है। अनेक देशों के उदाहरण सामने है जहां तीसरी लहर ने संकट खड़ा कर दिया है। ऐसी आपदा के सामने सभी आयोजन कार्यक्रम बौने है। पहले लोगों की सुरक्षा जरूरी है जिसमें सभी को एक होकर सोचना होगा।  

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